2020-01-05

पुसैठक तैयारी

सुजीतकुमार झा

रीता देवी पुसैठक तैयारीमे लागल छथि । दू महिना पूर्व हुनका घरमे पोताक जन्म भेल छल । छठियारमे कोनो खास भोज नहि कएने छलहुँ पोताक पुसैठो कऽ लेब आ किछु कर कुटुम्ब आ परोसीके भोज सेहो खुवाबएके हुनक योजना रहल अछि ।
पुस महिना अबिते मिथिलाञ्चलक घर घरमे पुसैठक तैयारी भऽ जाइत अछि । एक बर्षधरिके बच्चाबला घरमे ई एकटा उत्सवे होइत अछि । पुरहित पेशासँ सम्बद्ध पण्डित विद्यानन्द झा कहैत छथि एहिमे बगिया बना कऽ बच्चाके सेकल जाइत अछि । एकरा बच्चाके सुरक्षासँ सेहो जोडैत छथि । ओ कहैत छथि पुस माघमे बहुत जाढ बढि जाइत अछि एहि जाढमे बच्चाके उत्सवक माध्यमसँ सुरक्षा प्रदान कएल जाइत अछि ।
पहिने बेटाके मात्र पुसैठ होइत छल मुदा आब बेटा बेटी दूनुके होबए लागल अछि । पुसैठ भेल बच्चाके गाल नहि फटैत छैक से मान्यता रहल महिला नेतृ पुनम झा मैथिल कहैत छथि ।

पुसैठमे कि सभ होइत अछि ?

माघ महिनासँ अगहन महिनाधरि जन्म भेल नवजात शिशुके पुसैठमे बगियाक माध्यमसँ सेकल जाइत अछि । दू चारि अंगनामे हकार पडैत अछि, महिलासभ जम्मा होइत छथि, किछु गीतनाद होइत अछि आ घरक ज्येष्ठ महिला पुसैठक लेल अलगसँ बनाओल गेल बगियासँ बच्चाके सेकैत छथि । बच्चाके शरीरक हरेक भागक आकारके चाउरक आँटाके बगिया बनाओल जाइत अछि । ओहिमे आन बगियाजकाँ गुँड़ नहि राखल जाइत अछि ।
बच्चाके सेकएसँ पहिने काजरक ठोप कएल जाइत अछि, नव वस्त्र पहिरेलाक बाद बयियासँ सेकएके परम्परा रहल देखल जाइत अछि ।
सेकेलाक बाद हकार पूरए आएल महिलासभके बगिया सेहो देल जाइत अछि । सिन्दुर, तेल लगाबएके संगहि सुपारी सेहो महिलासभके बाँटल जाइत अछि पत्रकारिता पेशासँ आवद्ध नेहा झा कहैत छथि । गीतनादक बाद हास्यपरिहासक सेहो माहौल बनि जाइत अछि ।
किछु बर्ष एम्हर एहि अवसरपर भोज करबाक परम्परा बढए लागल अछि । एहि मासमे दर्जनो घरमे भोज होइत अछि । पुसैठ इजोरिया पक्ष कऽ मात्रे होइत अछि । पुरहित पेशासँ आवद्ध पण्डित दिगम्बर झा दिनमणि कहैत छथि शनि, रवि आ मंगल कऽ पुसैठ नहि होइत अछि । आन दिन इजोरियामे कोनो दिन पुसैठ कएल जा सकैत अछि । 

बगियाक परम्परा
बगिया मिथिलाञ्चलमे प्राचीन कालेसँ बनैत आएल अछि । मिथिलाञ्चलक परम्परागत भोजन आ जलपानमे बगियाक चर्चा कतेको ठाम भेटैत अछि । बगिया नामसँ दर्जनो साहित्य रचना भेल अछि । कविता, कथा एतेधरि कि नाटक सेहो बगियापर लिखल गेल मैथिलीक बरिष्ठ साहित्यकार चन्द्रेश कहैत छथि । आधुनिक कथामे मात्रे नहि लोक कथासभमे सेहो बगिया चर्चा भेटैत अछि ।
बगिया चाउरक आँटासँ बनाओल जाइत अछि । अगहनमे धान उत्पादन होइत अछि आ नव चाउरक आँटासँ बगिया बनाबएके परम्परा रहल अछि । बगियाक शैली अलग प्रकारक होइत अछि । बिचमे चिपल आ उपर निचा आँगुरजकाँ ठाड आकारक बगिया होइत अछि ।  जाढमे बनाओल जाएबला बगिया स्वास्थ्यक लेल लाभदायक होइत अछि । जाढ महिनामे  सामान्य समयक तुलनामे शरिरके अधिक तापक्रमक आवश्यक्ता होइत अछि । शरीरके गर्मी प्रदान करबाक लेल सेहो बगिया उत्तम परिकार रहल स्वास्थ्य चिकित्सकसभ सेहो स्वीकार करैत छथि ।
चिकित्सकसभक अनुसार बगियामे प्रयोग होबए बला गुँड़ आ उरिदक दालि शरीरमे उर्जाक सञ्चार करैत अछि । अहुँ हिसाबसँ बगिया जाढ महिनामे उपयोगी भोजनक परिकार भऽ सकैत अछि । तएँ मिथिलाञ्चलमे सभसँ बेसी जाढ होबएबला महिना पुसमे बगिया बनाबएके परम्परा अछि । 

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