2017-07-17

सर्वाङ्ग रोगी अञ्चल अस्पताल, इलाज के करत ?




जनकपुर अञ्चल अस्पताल बेर बेर चर्चामे अबैत रहैत अछि । कहियो अपरेशनके क्रममे चिकित्सक रुमाल रोगीके पेटमे छोड़ि देलक से घटना बाहर अबैत अछि त कहियो रोगी छटपटाइतो डिउटीमे खटल चिकित्सक आरामसँ सुतल रहैत अछि से खबर बाहर अबैत अछि ।
एखन जनकपुर अञ्चल अस्पताल फेरसँ चर्चामे अछि । अस्पतालके एकगोटे चिकित्सक निजी क्लिनिकके तुलनामे अस्पतालके सेवा महग रहल तथ्य विषय सामाजिक संजालपर रखलाक बाद अस्पतालसँ देल जायबला सेवा, सुविधा चर्चाके विषय बनल अछि । अञ्चलस्तरीय अस्पताल रहितो अस्पतालसँ देल जायबला सेवासुविधाके स्तर स्वास्थ्यचौकीयोसँ बत्तर अछि ।
अस्पतालके चिकित्सकसभके गैर जिम्मेवारीपनके कारण अस्पतालसँ सामान्य रोगमे सेहो रोगीके उचित उपचार नहि भेटैत छैक । अस्पतालमे कार्यरत चिकित्सक अस्पताल रोडमे रहल अपन निजि क्लिनिकमे बेशी अस्पतालमे कम समय दैत अछि । कतेको चिकित्सक अपन डिउटी समयमे सेहो अपन क्लिनिकमे अस्पतालसँ रेफर कएल रोगीके इलाजमे लागल रहैत अछि ।
अस्पतालमे रहल आधुनिक मेशिनसभके मेडिकल माफियासभ प्रयोगविहीन बनाकऽ रोगीके विभिन्न जाँचके लेल निजि नर्सिङ होममे रेफर करबाक त चलन भऽ गेल अछि । जनकपुर अञ्चल अस्पताल रोडमे रहल चिकित्सकसभके निजी क्लिनिक बेशी शुल्क लऽकऽ रोगीके जाँच करैत अछि, वएह रोगी अस्पतालमे जाइत अछि आ सम्बन्धित चिकित्सकसँ जाँच कराबऽ चाहैत अछि त ओ चिकित्सक उपलब्ध नहि रहैत अछि ।
अञ्चल अस्पतालके ई दुरावस्था कोनो नव बात नहि । आब इ विचारब जरुरी जे आखिर किया एना भऽ रहल छै । मेस्तरसँ लऽकऽ मेडिकल सुपरिटेण्डेण्टधरि स्थानीयबासी अछि । पछिल्का एक दशकसँ बेशी समयमँ अञ्चल अस्पतालके कमान धनुषा महोत्तरीबासीके हाथमे अछि । तैयो अस्पतालके स्रोत, साधनके दोहन आ रोगीके स्वास्थ्यसँ खेलवाड किया नहि रुकल अछि । आमरुपेँ जनकपुरमे दोष लगाओल जाइत अछि जे बाहरके लोक आबिकऽ एत्तऽ अधिकारी बनैया तेँ विकास नहि भेल । एहन आरोप लगेनिहारके अस्पतालके तथ्यांक पल्टाकऽ देखबाक चाही । के के मेसु बनलाह ? अस्पताल विकास समितिके अध्यक्षके तलब भत्ता के बुझलक ? ओ सभ अस्पतालके सुधारबास्ते की सभ कएलक ?
अस्पतालके कोनो एहन वार्ड आ सेवा नहि अछि जत्तऽ रोगी निश्चिन्त भऽ कऽ इलाज करासकए । कत्तउ दुर्गन्ध त कत्तउ मेशिन बिगरल । कहियो डाक्टरके अभाव त कखनो बिजली गुल । अस्पतालके एहन अवस्था देखिकऽ पाइबला त धरान, काठमाण्डू नहि त दरभंगा, पटना चलि जाइत अछि । गरिब, असहाय एखनो अपन जान जोगाबऽलेल वएह गन्हाएल अस्पतालक अपन साँस खोजैत अछि । ओ तऽ जनकपुरोके कोनो नर्सिङहोममे चिकित्सकके फिस देबऽके सामथ्र्य नहि रखैत अछि । एहन अवस्थामे अस्पताल शोषणके केन्द्र बनल अछि ।
रोगीसभके आरोप अछि जे नवसिखुआ विद्यार्थीसभ मात्रे इलाजबास्ते उपलब्ध रहैत अछि डाक्टरके त दर्शनो दुर्लभ । जँ रोगी अस्पतालके व्यवस्थाके विरोध करैत अछि त ओकरा डाँटल फटकारल जाइत अछि । पत्रकार अजय अनुरागी, घनश्याम मिश्र हालहिँ अस्पतालके दुरावस्थाके फेसबुकपर लाइभ देखाकऽ एहिके बहसमे आनि देने छथि ।
अस्पतालमे गरिब, असहायके लेल सरकारद्वारा निःशुल्क उपलब्ध कराओल उपचार कहिया ककरा देल गेल ? निःशुल्क औषधिके वितरण केनाकऽ भऽ रहल अछि ? अस्पतालके अपन मेशिनसभहोइतो किया रोगीके बाहर जाँचबास्ते पठाओल जाइत अछि ? चिकित्सक डिउटीसमयमे किया नइँ उपलब्ध रहैत अछि ? एहन सयकड़ो प्रश्न अछि जकर जवाफ अस्पताल प्रशासन नहि दऽ सकल अछि ।
अञ्चल अस्पताल स्वास्थ्य सेवाक दृष्टिसँ दिनप्रतिदिन जर्जर हेबाक कारण खोजब जरुरी छै । जनकपुर क्षेत्रमे एकसँ एक चिकित्सकसभ अछि जे अस्पतालके नोकरीसँ प्रतिष्ठित भेल अछि, ओसभ अस्पतालके विकासमे कि सभ कएलनि से पुछल जयबाक चाही । पदलोलूप नेतासभ अस्पतालके सञ्चालक समितिमे रहिकऽ कोन कोन विषयमे सुधार कएलक तकर जवाफ सेहो जनकपुरवासीके मांगक चाही ।

क्लिनिकमे समय देब खराब नहि, मुदा अस्पतालमे आएल रोगीके फल्ना क्लिनिकमे हम बैसइ छी, ओत्तइ भेटू से कहीकऽ दोकानदारी करब केहन नैतिकता छै ? अस्पतालके मेशिन बिगाडिकऽ निजी क्लिनिक आ नर्सिङ होमके दलाली केनिहारउपर किया नहि छानबिन होइत छै ? अस्पताल सर्वाङ रोगी भऽ गेल अछि । जाधरि एकर सभ अंग प्रत्यंगके इलाज ठिक तरहेँ नहि हएत समस्या समाधान नहि हएत । सफाइ केनिहार मेस्तरसँ लऽ कऽ मेनेजर बनल मेसुधरिके जिम्मेवारी बोध करऽ पडतै । 

जाति नहि कर्मसँ पण्डित बनैत छै


जन्म मात्रसँ कियो विद्वान, पण्डित नइँ होइत अछि । कोनो निश्चित जाति, कुलमे जन्म लेलासँ मात्र संस्कृत, वेद, ज्योतिषआदि विषयके ज्ञाता हएबाक सोचके चुनौति दैत समाजमे बहुतो युवा अपनाके सिद्ध कऽ रहल अछि ।
महोत्तरी जिलाक मटिहानी गामक विरेन्द्र कापर तेहने व्यक्तित्व छथि । सिद्धान्त ज्योतिष विषयमे मटिहानीस्थित याज्ञवल्क्य लक्ष्मीनारायण विद्यापीठसँ शास्त्री आ काठमाण्डूक वाल्मिकि विद्यापीठसँ स्नातकोत्तर केनिहार कापर चर्चित ज्योतिषाचार्य छथि । नेपाल वान टेलिभिजनसँ प्रसारित ज्योतिष सम्बन्धि कार्यक्रमआदिसँ हिनक विदेशमे सेहो ख्याति कमौने छथि ।
हिन्दु धर्मक प्रचार आ प्राचीन ज्योतिष शास्त्रक प्रसारमे लागल कापर अनन्त श्री जगद्गुरु पदवीसँ सम्मानित व्यक्तित्व छथि । विश्व हिन्दु महासंघ अन्तर्राष्ट्रिय धर्म सभा आ महन्थ सभा संयुक्त रुपमे कापरके इ पदवीसँ सम्मानित कएने अछि । काशी विद्वत परिषद्, अखिल सनातन धर्म महासभासहितके संस्था एहिके समर्थक रहल अछि । नेपालमे अनन्त श्री जगद्गुरु पदवीसँ सम्मानित कापर दोसर व्यक्तित्व छथि, एहिसँ पहिने इ पदवी चतराधामक बालसन्त मोहनशरणके देल गेलछल । आदि शंकराचार्य जगद्गुरु पद्वी देबाक चलन सुरु कएने रहथि । ई शैव आ वैष्णव दुनू सम्प्रदायके विद्वानके इ पदवी देबाक चलन अछि । 

वेद, उपनिषद्आदिके रचनासेहो नेपालमे भेल सन्दर्भमे एहि पदवीसँ ओ परिवेशकेँ सम्मान भेल कापरक कहब छन्हि । संस्कृत भाषा निश्चित जाति विशेषके भाषा नइँ रहल कापरके सफलतासँ प्रमाणित होइत अछि । कापर कहैत छथि जे ई संस्कृत, वेद, ज्योतिषआदि पढ़बालेल सभ स्वतन्त्र अछि, जँ पढ़िकऽ कियो योग्य बनैत अछि त सर्वत्र ओकर सम्मान सेहो होइत अछि । 

राजपाट आ अनबुझ दोलत्ती


कालिकान्त झा तृषित
राजपाट
राष्ट्रिय जनता पार्टी विधिवत दर्ता होबऽ जा रहल छैक । मुसरी बाबू सेहो एकर एहि नामसँ बड़ प्रसन्न छथि । हुनक कहब छनि जे एहि पार्टीकँे इएह नाम विशेष रूपे सूट करैत छैक, राजपा अर्थात राजपाट दिआबऽ बला पार्टी । नहि विश्वास होअए त इतिहास देख लिऔ जे कोनो पूर्वबर्ती सरकार गठन भेल छलैक तै सब मे इ लोकनि समर्थन करैत आएल छथिन से चाहे ताहि समयमे जाही नामधारी पार्टीमे रहल छल होथि । आब इ बात दीगर छैक जे सरकार राज्यारोहण करिते हिनके लोकनि के भष्मासुर जेकाँ तह लगएबाक हेतु चहेटऽ लगलनि ।  सधुआ लोकसब निष्कर्षविहीन वार्तामे अन्दर–बाहर होइत रहलाह से क्रम एखनो निर्बाध रूपे चलिए रहल छैक ।
प्रचण्डजीक राज्यारोहणमे समर्थन कएलनि हुनक ९ महिनाक कार्यकाल बितलनि गर्भावस्थाधरि सम्झौता बार्ता सब होइत रहलै से अल्ट्रासाउण्डमे देखाइतो रहलै मुदा उपलब्धि गर्भान्हरे रहलै आब से कार्यभार अर्थात सेरोगेट मदरबला जिम्मेवारी देउवाजीके जिम्मा अएलनि । प्रथमे ग्रास मच्छिका पात भऽ गेलै । बीबीसीके कोनो कार्यक्रममे एकटा छौंड़ा सुनैछी अक्सफोर्ड विश्वविद्यालयकँे सर्टिफिकेट माँगि देलकनि बूझू जे फेर योग्यतापर प्रश्न उठा देलकनि । इ त संयोग नीक छैक जे ज्ञानेन्द्रकेँ शासन नहि छलनि नहि त पुनः नवका प्रमाणपत्र हाथ लागि जइतनि । बूझू जे सबतरहेँ सबहक रक्षा भऽ गेलनि ।
आब एमाले पार्टीबलासब वामदेव गौतमजीके अश्वमेधकेँ घोडा जेकाँ प्रधानमन्त्री पदक हेतु नाम आगाँ बढ़ा देने अछि । ओ अपनो किछु पहिनहिसँ रत्नपार्क लग वर्जित ठामसँ रोड क्रस करैत सिंहदरबार दिस टांग उठा देने छलखिन जे फोटो भाइरल भऽ गेल छल । एहि प्रसंगमे एमाले पार्टीके सेहो आब राजपाट दिआबऽ बला पार्टीके जरूरत पड़ि गेल छनि । एमालेके नेतालोकनि फेर कहाँदन बेसिए लचकि रहल छथिन आ संशोधित संस्करण अएला पर संविधान संशोधनक हेतु ओ सब अग्रणी भूमिकामे रहथिन आखिर राजपाटबला स्वार्थसँ आबद्ध बात छैक ।
ओना त एहिठामक मिडियापर विश्वास करब कठिन छैक, झूठो फूइस बातके सोरहो आना ग्यारेन्टीए दैत समाचार सम्प्रेषण करैत रहैत छैक तहन बिना आगिए धुआँ हएबपर कोना विश्वास करबै ? कहाँदन भीतरे भीतरे एमाले आ राजपाट दिआबऽ बला पार्टीमे किछु खिचडी पाकि रहल छैक से तेहने गन्ध दुर्गन्धसँ प्रदूषण बढ़बाक सम्भावना बढ़ि गेल छैक ।
बाँकी बात त सूरदासकँे घी जेकाँ गडगडाएगा तब समझेँगे ।

अनबुझ
वादी कहे बाङ, पञ्च कहे पोला, नेपाल सरकार पथलक गोबरचोते के गोला ।। समस्याक रूप मे उपस्थित मांग वा प्रसंगक समाधानक हेतु तत्सम्बन्धी इमान्दारीपूर्ण प्रयासमे वार्ता वा निर्णय हएब महत्वपूर्ण होइत छैक से बात त जग जाहिरे छैक । एहनमे घाव कहीँ आ पौ कहीँ के हिसाबसँ कहियो समाधान नहि भऽ सकैत छैक । बरू समस्या अओर जटील होइत जएबाक सम्भावना बढैत रहैत छैक, से तहिना अधिकार प्राप्तिक हेतु आन्दोलनरत मधेशी जनजाति पिछड़लवर्ग सभहक मांगके विषयमे बूझियोकऽ बूझ पचबैत सत्तापक्ष प्रदेश नम्बर २ केँ चुनाव बादमे करएबाक अयुक्तिसंगत निर्णय कोन प्रयोजनसँ कएने छैक से अनबूझ बुझौअलि (पहेली) बनि गेल छैक ।
सत्तापक्ष सहमतिएमे निर्णय कएने छी से कहैत छैक मुदा आन्दोलितपक्षक ने ओहन कोनो मांग छैक आ ने कोनो सहमति कएने छैक । अतः सत्ता पक्षक प्रपञ्च स्वतः उजागर भऽ गेल छैक यद्यपि हाथमे मिडिया छैके तकर दुरूपयोग करैत आन्दोलनके बदनाम करबाक हेतु गलत प्रचार करबा रहल छैक
सोशल मिडियामे सेहो स्वनाम धन्य अनलाइन पत्रकार सब ठकुरसुहाती समाचार सम्प्रेषण कइए रहल छथि । एम्हर इहो बात खूब चर्चा होइत रहल छैक जे चुनावमे भाग नहि लेलासँ राजपाकेँ अस्तित्व समाप्त भऽ जएतै, भारत सेहो भाग लेबाक हेतु दबाब दऽ रहल छैक, किछु नेता जे मधेशेके मुद्दासँ सर्वत्र चिन्हार भेला, पद–प्रतिष्ठा कमाइ धमाइ सब भेलनि से हुनको एखन राष्ट्रियता की अराष्ट्रीयता तेहन जोर मारने छनि जे बुद्धि विचारसब गिरगीट जेकाँ रंग बदलि रहल छनि वा रामहिलोरा जेकाँ खूब आगा पाछा अल्टी पल्टी मारि रहल छनि लोक आश्चर्य मे अछि “छी इ केहन पनिमरूआ आदमी भ गेलै ।”

जहाँतक भारतके सवाल छै, भारत सरकारक आधिकारिक धारणा आबि गेल छैक जाहि मे स्पष्ट कहल गेल अछि जे “नेपालमे समावेशी संविधानक लेल समाजक सभ तह आ तप्काकेँ साथ लेब आवश्यक अछि, समावेशी संविधानक आकांक्षाकेँ समर्थन ।” नेपाल सरकारके गद्दीपर जे कियो रहला एहि वास्तविकतासँ मुँह मोड़नेहे रहलाह, समस्याके एक दोसर दिश हस्तान्तरण करैत गेलाह, अपन अपन पार पुरबैत गेलाह, तही क्रममे आब देउवा जी जाग्रत छथि । हिनको सोच आलेटाल बला बुझाइत छैक फेउर कहीँ नओ महिनाक बाद इहो नौ दू एगारह होइथिन आ पुनः प्रचण्डजीक गद्दी रोहण हएतनि अथवा कोनो दोसर बिलराक भागसँ सीक टुटतै से प्रतिक्षाक विषय रहत । इ सब होइते रहतै आ आन्दोलनरतके रस्ता बन्द नहि कएल जएतनि । जयचन्द सबके अगहनी होइत रहतनि ।