2014-08-16

मधुश्रावणी ः सफल दाम्पत्यक पाठशाला


मधुश्रावणीमे मिथिलाञ्चलमे गाम गाममे बेरिया खन कऽ बाध वनमे गीत गुञ्जैत रहल । । सोलहो श्रृंगारसँ सुशोभित नवविवाहिता कनियाँ अपन सखीसभ सँगे बाध वनमे घुमैत फुल तौडैÞत तथा विभिन्न गाछक झारिपात तोड़ैत देखल जाइत अछि । साउन महिनाक मौना पञ्चमीसँ एक दिन पूर्वसँ सुरु भऽ तेरह दिनधरि चलएबाला फुल लोढ़ी मंगलदिन सम्पन्न भेल अछि । विशेषतः व्राह्मण, कायस्थ, देव आ सोनार जातिमे होवएबला फुल लोढी मधुश्रावणी पावनिके पुरक अछि । अर्थात साँझमे लोढ़ल गेल फुल प्रातः काल विषहराके चढ़ा मधुश्रावणी पुजा कएल जाइत अछि । पतिकेँ दिर्घायूक कामना करैत नागकँे पुजा कएल जाएबला मधुश्रावणी पावनि धर्म, प्रकृति पुजा, पति प्रेम, सर्तकता तथा मनोरञ्जनक रुपमे लेल जाइत अछि ।

धर्म

हिन्दु धर्ममे नागकँे देवता मानल गेल अछि । महादेवक अंग भूषण आ विष्णुक आसन नागके पुजा कएलासँ धर्म होएबाक जनविश्वास अछि । मधुश्रावणी पावनिभरि महादेवक चर्चा परिचर्चा कएल जाइत अछि । मधुश्रावणीमे महादेव गौरी, गणेश, कर्तिकेय तथा आनन्य देवताक पुजा कएलासँ जीवन सुखी होएबाक मान्यता अछि । भगवानक पुजा कएलासँ भगवान आशीष देता, एहिसँ घर परिवार फुलत फलत आ हरेक मनोकामना पुरा हएत, मधुश्रावणी पुजि रहल जनकपुर ४ रहनिहारि अनीता कर्ण कहैत छथि, तएँ
हम नियम निष्ठासँ मधुश्रावणी पुजा कऽ रहल छि ।

प्रकृति पुजा


मधुश्रावणी पावनि प्रकृति पुजाक प्रतीक अछि । मधुश्रावणीमे नागक पुजा कएल जाइत अछि । प्रकृतिक एकटा सुन्दर उपहार नागक पुजा कएनाइ प्रकृति पुजा कएनाई समान अछि ।
एहि अतिरित्तm मधुश्रावणीमे नवकनियाँसभ फुल लोढैत छथि । फुल लोढ़बाक लेल ओ सभ सालभरि पहिनहिसँ घर आगन दुरादरबज्जापर फुलगुल लगाबए लगैत अछि । एहिसँ प्रकृतिक संरक्षण आ सम्बद्र्धनक सन्देश भेटैत अछि । फुल लोढएबालीसभ नीम, दाडिम, लताम, जाही(जुही सहितक गाछक पात फुलसभ तोड़ि डालीमे सजबैत अछि । ओ सभ ओहि अवसरमे प्रकृतिक अनुपम श्रृंगारमे डुबि जाइत अछि आ प्रकृतिक एकटा अंगक रुपमे भऽ जाइत अछि । एहन विशिष्ट प्रकृतिक प्रेमक स्वरुप अन्तः देखनाइ कठिन अछि । मिथिला संस्कृतिमे प्रकृति पुजाक एहन कतेको अवसर अछि जे प्रकृतिक संरक्षण सम्बर्धनक सन्देश दैत अछि । जेना जुड़शीतल । एहि पावनिमे लोकसभ गाछमे पानि पटबैत अछि । पुजा करबाक लेल फूल, बेलपत्र, कलशक लेल पल्लव आदि इत्यादिसभ प्रकृतिक पुजाक उदाहरण अछि आ मधुश्रावणी पुजा सेहो एकरे एकटा कड़ीक रुपमे मानल जाइत अछि । रेडियोकर्मी तथा शिक्षीका पुनम मिश्र कहैत छथि‘मधुश्रावणी पावनि नवकनियाँके प्रकृति जेकाँ स्वच्छता फैलबाक शिक्षा दैत अछि ।’ तहिना विभिन्न गाछ वृक्ष जेकाँ नवविवाहितक परिवार
बढ़ौ, घर भरलपुरल रहौक से कामना कएल जाइत अछि ।

पति प्रेम

मिथिलानीसभ पतिके परमेश्वर मानैत छथि । हुनक चरणमे अपन संसार देखबाक संस्कार व्याप्त रहल मिथिलानीसभ पतिक दिर्घायूक लेल कठोरसँ कठोर व्रत करैत छथि । जकर एकटा स्वरुप मधुश्रावणी सेहो अछि ।  मधुश्रावणीमे साँप किरा अपन पतिके नहि काटए तेँ विषहरिके पुजा कएल जाइत अछि । तहिना मधुश्रावणीमे सुनाओल जाएबला महादेव तथा अन्य देवी देवताक कथासभ सेहो प्रेमपर अधारित रहैत अछि । जे कथासभक सारतत्व एकहिटा पति प्रेमसँ जुड़ल रहैत अछि । शरीरिक तथा संवेगात्मक दुनु प्रकारक पे्रमक कथा सुनाओल जाएबला मधुश्रावणी पावनि केहनो कष्ट सहि कऽ पतिक सँग जीवन बितेवाक उत्प्रेरणा जगबैत अछि । मधुश्रावणीक अन्तिम दिन टेमी दागल जाइत अछि । अर्थात पति जरैत दीपसँ अपन कनियाँकँे दागि दैत अछि । तैयो कनियाँ अपन पतिके किछु नहि कहैत अछि जे ओकर सहनशीलताक परिचायक अछि । अपन पतिकेँ सभसँ उपर अपन सर्वस्व मानएकँे परम्परा रहलाक कारण महिलामे ओ भावना जगेवाक काज मधुश्रावणीमे होइत अछि । एहि पावनिमे पावनिभरि पति अपन पत्नीकसँग रहैत अछि । जाहिसँ हुनकासभ बीच पे्रम बढब स्वभाविक भऽ जाइत अछि ।

सर्तकता

साउन मास वर्षागुणीक समय अछि । बाढि पानिक कारण विहरिसभ भरि जाइत अछि जाहि कारण साँपक विगवीगी बढि जाइत अछि । साँपसभ घर आँंगनमे आवि डँसि लेलासँ मनुष्यके अकाल मृत्यु भऽ जाइत अछि । मधुश्रावणीक कथासभमे साँपसँ सतर्क रहबाक सन्देश अछि । एहि कथासभमे साँप किरासँ सुरक्षाक लेल विभिन्न उपायसभदेखाओल गेल अछि । अर्थात मधुश्रावणी पावनि सर्तकता आ सुरक्षाक सम्बन्धमे जनचेतना जगेबाक काज सेहो करैत अछि । मधुश्रावणी आ कला संस्कृति मधुश्रावणी पावनि कला सांस्कृतिक संरक्षणमे सेहो मुख्य भूमिका निर्वाह कऽ रहल अछि । एहि पावनिमे माटिक विषहरा बनाओल जाइत अछि । तहिना अरिपन सेहो बनाओल जाइत अछि । एहि अतिरित्तm महफा, कनियाँ, लीलीवासन सहित विभिन्न लोककला बनाओल जाइत अछि । पुस्तदर पुस्ता मिथिलानीसभ हस्तानान्तर करैत आएल मिथिला कला आइयो इएह कारण जिवैत अछि । तहिना विभिन्न दन्त्य कथा, गीत नादसभ मिथिला सांस्कृतिके बचा कऽ रखने अछि ।
मधुश्रावणीक कथामे घर गृहस्थीक जे मन्त्रसभ सिखाओल जाइत अछि ओ वास्तवमे सचेत मिथिला आ मैथिली सभ्याताकँे झलकवैत अछि ।

मनोरञ्जन

मनोरञ्जनक दुष्टिकोणसँ सेहो मधुश्रावणी पूजाक बड़ महत्व अछि । संगीसाथीसभक खेलकुद, नोंकझोंक, नाचगान जे मनोरञ्जन परसैत अछि ओ अपूर्व अछि । फुल लोढ़ैत काल सखीसहेली बीचक नोकझोंक होइ अथवा पुजैतकाल पाहुन सँग मजाक मधुश्रावणी पावनि जेहन स्वस्थ्य मनेरञ्जन परसैत अछि ओहिसँ श्रेष्ठ आन कोनो मनोरञ्जन नहि भऽ सकैय । अर्थात समग्रमे कहल जाए तऽ मधुश्रावणी पावनि एकटा दर्शन अछि जे जीवन जिबाक कला सिखवैत अछि । घर गृहस्थी धर्मकर्म तथा वंशवृद्धिक जे सन्देश मधुश्रावणीक
कथामे अछि ओ मैथिली सांस्कृतिक दुरदर्शीता झलकबैत अछि । साभार मिथिला डट कम
साभार गोरखापत्र मैथिली पृष्ठ २०७१ साउन १६ गते

पीतहास्यमे प्रियंकाक प्रशंसा

राजधानीमे वत्तीसपुतलीस्थित शिल्पी नाट्यघरमे पीतहास्य नामक नाटकमे अभिनय करैत प्रियंका झा । पीतहास्य नाटक अषाढ़ ३२ गते बुधदिनसँ सातदिनधरि मञ्चन भेल छल । नाटकमे मैथिली रंगकर्मी सेहो उत्कृष्ट प्रदर्शन कएलनि । मिथिला नाट्यकला परिषद्क प्रियंका झा नाटकमे अभिनयकऽ अपन प्रतिभा देखओलनि ।
तीन महिनाक कार्यशालाक बाद तैयार कएल गेल एहि नाटकमे समकालीन नेपाली समाजक प्रतिबिम्बन कएल गेल अछि । प्रियंका एहिमे मिथिला समाजमे महिलाक दारुण अवस्था, भेदभाव, दहेजक कारणेँ होबऽ बला उत्पीडन जेहन विषयकेँ प्रस्तुत कएने छलीह । हुनक एकल प्रस्तुतिमे मिथिलाञ्चलमे बेटीके संघर्षक कथा समेटल गेल छल । ओ अशिक्षा, विभेद, बहिष्कारसँ पीडित किशोरीकेँ अबस्थाके मर्मस्पर्शी ढंगसँ प्रस्तुत कएने छलीह ।
साभार गोरखापत्र मैथिली पृष्ठ २०७१ साउन १६ गते

बेटीके दहेज नईं, शिक्षा दिअ

स्नेहा झा

"ककरा कहबै के पतियेतै कोइली कने भोरेसँ
मिथिलाके इतिहास जे लिखल सबटा आँखिक नोरेसँ ।"

मिथिलाक गामघरमे लोक ई गीत बरसोंस गबैत आएल अछि । मिथिलाक बेटी जनक नन्दिनी जानकीकँे जीवनकथा जे एकबेर नोरसँ लिखेलै, से युग बदललै, सोच बदललै, जीवनशैली बदललै मुदा मिथिलाक बेटीके नियति नै बदललै । मिथिलाक बेटीक जीवन कथा आई सेहो नोरेसँ लिखाई छइ । पुरुषप्रधान समाज भेलाक कारणेँ मिथिलाक बेटी जीवनमें अपन इच्छाके रंग नै भइर सकली । जिनकर कला आ गुण संसारमें नाम कमोनै अइछ हुनक जीवनकेँ चित्र सबदिन दोसरके हाथमें रहलन । ओ सब दिन अग्निपरीक्षा दैत रहली । बेटीके परिवार आ समाजमे कोन स्थान छै से समदाउनक ई गीतेसँ नीक जकाँ बुझल जा सकैया ।

"बाबा यो धनसम्पती आँहा हारितौं कि हमरो बचबितौं यौ
बेटी हे धनसम्पती घरके लक्ष्मी तुहु पराई छह है ।"


जाहि बेटीके जन्मघर अपन नै बुभैmए ताहि बेटीकेँ दोसर कियो अपन कि बुझत ? समाजमे बेटी विवाह लेल वर बादमे ताकल जाइछइ मुदा दहेजक व्यवस्था बेटीक जन्मेसँ होबऽ लगैछइ । बेटीक शिक्षित आ आत्मनिर्भर बनेनाईसँ बेशी महत्व वरके शिक्षा आ सम्पन्नताकेँ देल जाइछइ । ओना बदलैत समयमे बेटीके पढ़ेबाक चाही से सोच सेहो बइढ़ रहल अछि मुदा अखनो बेटीके आत्मनिर्भर बना अपन पहिचान बनाबऽके लेल नहि भऽ निक घर वर भेटऽके आशसँ पढओल जाईछइ । बेटी अपन पायर पर ठाड़ भऽ अपन पिता या अपन पतिसँ अलग, अपन नाम अपन पहिचान बनाबए ताहिलेल नै । जहिया मातापिता बेटीकेँ उन्नतिपर गर्व केनाई सिखत तहिया बेटीके विवाहके लेल दहेजके बन्दोबस्त नै करऽ परतै । एकदिश मातापिता बेटाके पढालिखाकऽ नाम कमएबाक आशिर्वाद दैत अछि,  दोसर दिश बेटीके निक घर आ निक वर भेटऽके आशिर्वाद दैत अछि । जाहि उमेरमे बेटीकेँ पढ़िलिखिकऽ नाम कमाउ से शिक्षा देबाक चाहि ताहि उमेरमे नीक घरवरके सपना देखओनाइ शुरु भऽ जाइछइ ।

बेटीकेँ शिक्षित आ आत्मनिर्भर बनेबाक मतलब घरपरिवारकँे जिम्मेवारीसँ मुत्तm कऽ देब नै छइ । मुदा बेटी काल्हि जाकऽ ककरो पुतहू बनती ताहि कारणसँ कर्तव्यसँ मातापिता विमुख नै होथि । पढ़ल लिखल आ आत्मनिर्भर बेटी संस्कार आ कर्तव्य निर्वाह नईं कऽ सकती से त नईं छइ । आधुनिक समयमे एकटा सक्षम नागरिक बनएबालेल बेटीकेँ पढेनाइ जरुरी अछि । जँ बेटी नहि पढ़लक त ओ सही आ गलतके पहिचानो नहि कऽ सकत । बेटीकेँ एतेक काबिल बनाबी जाहिसँ जीवनके कठिन घड़ीमे ओ अपन समस्यासँ लड़ि सकए । ओ अपना लेल अपनेसँ किछु कऽ सकए । मुदा एखनो मैथिल समाज अपन बेटीकेँ सासुर विदा करसँ पहिने सब अन्याय, अत्याचार चुपचाप सहऽ के शिक्षा दैत अछि । एखनो सीताक त्यागकेँ उदाहरण दऽ मिथिलाक बेटीसँ अग्निपरीक्षा देबाक अपेक्षा राखल जाइत अछि ।

मुदा आब मिथिलाक बेटीकेँ जीवन कथा बदल पड़त । सब दिन समाजक रीतिकेँ दोष देलासँ किछ नै हएत । आब समय आइब गेलछइ अपनेसँ समाज परिवर्तनके लेल आगा बढ़ऽके, ई संस्कार बदलऽके, मिथिलाके बेटीकेँ पहिचान बदलऽके । बेटीक जीवनक निर्णय सभदिन कियो दोसर किया लेत । बेटीकेँ जीवन कथा हुनक नोरसँ आ ककरो दोसरकँे इच्छाकँे रंगसँ नहि रंगाइ । बेटी अपन पहिचान बनाबए, अपन सफलता अपन इच्छाके रंगसँ जीवनक कथा लिखए । मातापिता बेटीकँे पढालिखाकऽ जँ आत्मनिर्भर बनादैथि त कोनो बेटी अपन जीवन निर्वाहके लेल ककरो दोसरके आशमे नै रहत । बेटीकेँ लेल पढ़ल लिखन वरके खोजी केनाई, बेटीके सुखी जीवनके इच्छा रखनाई गलत नै छइ मुदा मातापिताके बेटीके क्षमतापर सेहो विश्वास करबाक चाही । बेटी तखने खुसी भऽ सकैत अछि जखन हुनका ककरो दोसरके अधिनमें नै रहऽ पड़त । जखन ओ अपन जीवन पुरा आत्मसम्मान सँ बिता सकथि । बेटीकेँ ककरो दोसरके जिम्मामे देबसँ पहिने अपन जिम्मेवारी उठेबाक काबिल बनादि त शायद कोनो बेटी ई गीत नै गओती –
"जाबे हम छलियै मायबाप राजमे औंटल दुध ने सोहाय
आब हम भेलियै परके पुतहुवा मिनती करैत दिन जाय ।”

साभार गोरखापत्र मैथिली पृष्ठ २०७१ साउन १६ गते

सुन्दर अभियानमे जुटैत जनसहभागिता

मनोज झा मुक्ति 
जौं ठानि लेल जाय, त कोनो काज असम्भव नहि ! से चरितार्थ भऽरहल अछि महोत्तरी जिल्लाक सुन्दर अभियानीसबहक सुन्दर काजसँ । 
श्रावण १० गते शनिदिन भटौलीया गाविसक अजमरपट्टी चौकसँ पर्सा गामधरि सडकक दुनूकात भिनसर आठबजेसँ नेपाली सेना, नेपाल प्रहरीक एसपी, शसस्त्र प्रहरीक डिएसपी, महिला विकास अधिकृत, वृहत्तर जनकपुरक अध्यक्ष राम कुमार शर्मा, स्वतन्त्र सभासद चन्देश्वर झाक प्रतिनिधि, राप्रपाक नेता प्रतिभा राणा, पूर्व सभासद वसन्ती झा, डिएफओ लगायतक बहुतो प्रतिष्ठीत व्यक्ति वृक्षारोपणमे मस्त छलाह । माइकमे किलोल कयल जाऽरहलछल– स्वतन्त्र सभासद चन्देश्वर झा २५ थान खोप, राम कुमार शर्मा १० थान खोप........एहि तरहें भऽरहलछल सुन्दर अभियानक वृक्षारोपण कार्यत्रmम ।
बीना बजेटके मधेशमे सेहो अपना माटिकलेल केहनो काज कएल जाऽसकैया, तकर उदाहरण प्रमाणित भऽरहलछल ओतुक्ता सुन्दर अभियानक वृक्षारोपणमे । सुन्दर अभियानी समाजसेवी भटौलीया पर्सा–७ निवासी महेश कुमार यादवक अगुवाई सम्पन्न भऽरहल कार्यत्रmममे सबकिछु सहयोगे माँगिकऽ सम्पन्न कएलजाऽरहलछल । वृक्षारोपणक सम्बन्धमे महेश कुमार यादव बतवैत छथि–‘एकडारा बेलाक सुन्दर अभियानमे हम सहभागी भेलौं, तहन हमरो लागल जे ई सुन्दर अभियानक वृक्षारोपण अजमरपट्टी चौकसँ पर्सा गामधरि होएवाक चाही । सुन्दर अभियानी मित्रसब मनोज झा मुक्ति, दिनेश चौधरी, उमेश यादव, सीतलाल साह लगायतक मित्रसँ छलफल आगु बढल । नेपाली सेना शेरगण प्रकौलीक गणपति विष्णु बहादुर कार्कीक उत्साह आ महोत्तरी वन अधिकृत(डिएफओ) विद्यानाथ झाक वृक्ष उपलब्ध करएवाक वचनवद्धतासँ बात आगु बढल । हमसब भटौलिया–पर्सा आ अजरमरपट्टी गाममे दरबज्जे–दरबज्जे बाँस मँगलहुँ, स्थानिया यूवा आ नेपाली सेना शेरगण प्रकौलीक २०टा जवानक दूदिना मद्दतिसँ बाँस कटलहुँ । वृक्षक रक्षार्थ डोमसँ बाँसकखोप बुनबेवाक बात भेल, १२० रुपैए जोड़ी बुनबाक बात तय भेल । लगभग १२०० खोप लागऽवला भेल । हमसब खोपक त्रmेता तकलहुँ । एकटा दाता १ सँ २५ धरि खोप दऽ सकैत छथि ।’
ओ आगा कहैत छथि–‘एहि वृक्षारोपणमे नेपाली सेना शेरगण प्रकौलीक मेजर सुमन कार्की नेतृत्वमे ५०टा जवान स्थानीय यूवाक उत्साह बढएवाकलेल सुन्दर अभियानमे श्रमकरवाकलेल पहुँचलाह । तहिना नेपाल प्रहरीक एसपी राम प्रसाद श्रेष्ठ, शसस्त्र प्रहरीक डिएसपी, महिला विकास अधिकृत चन्द्र कुमारी व्यञ्जनकार, वृहत्तर जनकपुरक अध्यक्ष राम कुमार शर्मा, स्वतन्त्र सभासद चन्देश्वर झाक प्रतिनिधि, राप्रपाक नेता प्रतिभा राणा, पूर्व सभासद वसन्ती झा, डिएफओ विद्यानाथ झा, राष्ट«पति चुरे संरक्षणक रामानन्द प्र.साह, समाजसेवी सरेश पाण्डे, आस्था नेपालक कमलेश सिंह, माँ भवानी सा.अ.केन्द्रक नवीन पाण्डे, शैलेन्द्र सिंह, गाविस कर्मचारी संघक राष्टि«य उपाध्यक्ष अजय कुमार शर्मा, मजफो नेपालक महोत्तरी अध्यक्ष राम नरेश यादव, पत्रकार महासंघक महोत्तरी अध्यक्ष इश्वरी पौडेल, जलेश्वर निवासी अनिल ठाकुर लगायतक स्थानीय यूवा÷बुद्धिजीबीसब सहभागी भऽ पहिल चरणक वृक्षारोपण सम्पन्न भेल ।’
अभियानी महेश कुमार यादव कहैत छथि जे आब दोसर आ अन्तिम चरणक काज एतऽ बाँकी अछि जे मँगोल बाँसके काटिकऽ खोप बनलाकबाद होएत आ तकरालेल सेहो एकटा गाछ आ खोप रोपनिहारसँ ६० टका सहयोग राशी लेल जाएत । एकटा दाता २५ टासँ बेसी खोप नहि किनऽ सकैतछथि । एहन–एहन पुनित काजमे बेसीसँ बेसी लोककेँ मौका भेटवाक चाही से हमरसबहक आशय रहल अछि ।’ हुनक कहब छन्हि–‘ वृक्षारोपण सम्पन्न भेलाकवाद बाँसदाता, गाछदाता, खोपदाता आ श्रमदाता सबहक नाम लिखल फ्लेक्सक गेट बनेवाक योजना सेहो हमर सबहक रहल अछि ।’ सुन्दर अभियानीसब इ प्रमाणित कऽरहल छथि जे हमसब जौं मेहनत करवाकलेल तैयार भऽजाई, तहन बिनु पाइयोकेँ केहनो काज कएल जाऽसकैत अछि । सहयोग केनिहारक कमी नहिं । नेपाली सेना सुन्दर अभियानमे बहुत पैघ भूमिका खलैत महोत्तरीकेँ सुन्दर बनयबाक काजमे सुन्दर अभियानी युवाके सँग दऽरहल अछि ।
जरुरी अछि सुन्दर अभियानकेँ गाम–गाममे शुरु कऽदेवाक ।   
कि अछि सुन्दर अभियान ? केहन भऽरहल अछि काम ?
‘सुन्दर अभियान महोत्तरीक किछु यूवा सबहक सामूहिक विचारसँ शुरुभेल ई अभियान कोनो सरकारी या गैरसरकारी संस्था जकाँ कतौ दर्ता नईं अछि आ कहियो होएबो नई करत’ ई कहब छन्हि सुन्दर अभियानी महोत्तरी जिलाक पीपरा गामक नर्सरी व्यावसायी दीनेश चौधरीकें । ओ कहैत छथि–‘ मात्र सरकार भरोसे या विदेशी एनजियो÷आइएनजियोक भरोसे गाम, समाज या देशक विकास नईं होएत । जाधरि हमसब श्रमदान करबाक काजकेँ पुनः शुरुवात नईं करब, ताधरि कोनो प्रकारक टिकाउ विकास भेनाइ असम्भव अछि । अपन समाजक विकासलेल हमरा सबके अपने काज करबाकलेल आगु बढऽ परत । ताँए अपन काजक अतिरिक्त जे समय बँचैत अछि, ओ अपना माटिकलेल खर्च केनाइ अछि –सुन्दर अभियान ।’ सुन्दर अभियानी, पीपरा निवासी उमेश यादव अभियानक कार्यत्रmमक सम्बन्धमे कहैत छथि– ‘आँहा अपन जे व्यावसायमे लागल छी ताइमे इमान्दारी पूर्वक अपन भूमिका निर्वाह कऽदियौ, याह छै–सुन्दर अभियान । जेना आहाँ विद्यार्थी छियै, त आँहाँ नीकजकाँ पढिदियौ वएह छियै सुन्दर अभियान ।’ ओ आगा कहैत छथि–‘सुन्दर अभियानमे अखन हमसब वृक्षारोपण, अपन गाम अपने सुन्दर बनाबु आ रिक्वेस्ट(आग्रह) अभियान दिस काज कऽरहल छी । अखन वर्षात मौसम भेलाक कारणे हमसब वृक्षारोपणमे लागल छी । अखन भटौलिया–पर्सा गाविसके सुन्दर अभियानी(समाजसेवी) महेश कुमार यादवक अगुवाईमे भटौलिया गाविसक अजमरपट्टी चौकसँ पर्सा गाम धरिक १४०० मिटर सडकक दुनूकात वृक्षारोपण भऽरहल अछि, जकर पहिल चरणक वृक्षारोपण सम्पन्न भऽ गेल अछि । एहिसँ पहिने महोत्तरी जिलाक एकडारा गविसऽक बेला सडकपर–अपन गाम अपने सुन्दर बनाबु सम्पन्न भेल छल, राधेश्याम तिवारीक अगुवाइमे भेल कार्यत्रmममे नेपाली सेना शेरगण प्रकौली ब्यारेकक गणपति विष्णु बहादुर कार्कीक नेतृत्वमे ५० जवान नेपाली सेना, तात्कालिक सिडियो राम प्रसाद थपलिया, डिएफओ विद्यानाथ झा, महिला विकास अधिकृत चन्द्र कुमारी व्यञ्जनकार, शसस्त्र प्रहरी एकडारा वेस क्याम्पक इन्सपेक्टर राजेश कुमार साह सहित २० जवान, सेवा निवृत शिक्षक श्रीकान्त झा, समाजसेवी महेश कुमार यादव, मनोज झा मुक्त,राम जनम यादव, दिनेश चौधरी, शिक्षक लोचन ठाकुर लगायतक स्थानीय वासीकसबहक सहभागिता छल । एहिमे सरवत पिवाकले जे चिन्नी आ नेबो लागलछल ओ सिडियो, डिएफओ, गणपति, महिला विकास अधिकृत, दिनेश चौधरी आ मनोज झा मुक्तिद्वारा उपलब्ध कराओलगेल छल । एकर परिणाम ई भेल जे जाई बेला गामक बहुतो गल्लीमे रिक्सा नईं जाइत छल तकराबाद ओही गल्लीसबमे एम्बुलेन्स जएवाक बाट बनिगेल अछि । तहिना लगभग चारि÷पाँच वर्ष पहिने जलेश्वरक भारीकुट्टी पर नेपाली सेनाक सहयोगमे विभिन्न फूल रापिकऽ सजाओलगेल छल जाही मध्ये आजुक दिनमे एकौटा फूल वा कोनो गाछक नामो निशान नइ अछि, जतेऽ बाँस ओतऽ लागलछल ओ सब सारी ग्रामवासीसँ हमसब मँगने छलहुँ आ शसस्त्र प्रहरीक मदतिसँ भारीकुट्टीपर मँगवेने छलहुँ । तेसर अछि, रिक्वेस्ट(आग्रह) अभियान जाहिमे जिला शिक्षा अधिकारी या जिल्ला प्रमुखक उपस्थितिमे अभियानीसब स्थानीय शिक्षक÷कर्मचारीके अपन ड्यूटी इमान्दारी पूर्वक निर्वाह कऽ देवाकलेल आग्रह कैल–करैत छथि ।’ सुन्दर अभियान केओ, कहिया आ कतौ शुरु कऽ सकैत छथि । एहिमे सबकियो अध्यक्ष रहैत छथि । आहाँके जौ ई काज नीक लागिगेल त अखनेसँ आँहाँ सुन्दर अभियानक अध्यक्ष अपनाके बुझु आ शुरु कऽदिय सुन्दर अभियान आइएसँ !
साभार गोरखापत्र मैथिली पृष्ठ २०७१ साउन १६ गते  

2014-07-19

मधेशक उत्तर-दक्षिण विभाजनकेँ विरोध हएबाक चाही : प्रशान्त झा

मधेशी शक्तिक महत्व घटल
पत्रकार प्रशान्त झा 
एहिमे कोनो शंका नहि जे दोसर संविधानसभा चुनावके बाद मधेशके राजनीतिक शक्ति घटल छइ । जे उँचाई मधेश आन्दोलन, संविधानसभाक चुनाव, राष्ट्रपति उपराष्ट्रपति चुनाव, सरकार निर्माणके क्रममे देखने रही ओ आब नहि छइ । नेपालक राजनीतिमे बितलाहा पाँच वर्षमे सरकार बनाबऽमे मधेशी दलसभ स्वींग फोर्सके रुपमे देखल गेल, ओसभ जे दलके समर्थन दैत छल वएह दल सरकार बनबैत छल । आब ओ शक्ति मधेशी पार्टीलग नहि रहिगेल । मधेशी दलके भूमिका बिना सेहो सरकार बनि सकैत अछि । एखनके सरकार सेहो एकरा प्रमाणित कएने अछि । संख्यात्मक रुपमे मधेशी शक्ति कमजोर देखल गेल अछि, राजनीतिक रुपमे ओहिसँ महत्व घटल अछि ।

असन्तुष्टि हरओलक
दोसर संविधानसभा चुनावमे भेटल पराजयके बाद मधेशी राजनीतिक दलके जे चिन्तन करबाक चाही से नहि भऽ सकल । ओसभ किया हारलथि ? पार्टीक फुटके कारण मात्रे हारलथि ? चारिवर्ष सरकारमे रहिकऽ ओसभ अपन चुनाव क्षेत्रमे की केलैथ ? अपन आधारक्षेत्र मधेशमे कोन सेवा प्रवाह कएलथि ? मधेशमे कांग्रेस, एमालेसँ खुश भऽ कऽ भोट कएल गेल तेहन बात नहि । मधेशी दलसभप्रति जे असन्तुष्टि छल तकर कारण ओ सभ कांग्रेस, एमालेके भोट देलथि । ओ असन्तुष्टिके कारण की छल तकर खोजी करबाक चाही मधेशी दलके, लेकिन ई नहि भऽ सकल ।

मुद्दा कहियो नईं मरत
मधेशी दलसभके शक्ति घटल अछि मुदा मधेशके एजेण्डा एखनो स्थापिते अछि । मधेश आन्दोलनसँ उठल संघीयता, समावेशीकरण, पहिचान, प्रतिनिधित्व जेहन मुद्दा एखनो स्थापित अछि । संविधानसभामे मधेशी दल संख्यात्मक रुपसँ कम अछि तेँ ई एजेण्डासभके छोड़ि देल जाय जँ काठमाण्डूक शासक वर्ग ई सोचैया बड़का मूर्खता हएत । २००७ सालदिश उठल नेपाल तराई कांग्रेसके एजेण्डा ६० वर्षक बाद जँ उठि सकैया त फेर मधेशके एजेण्डा कत्तउ नहि जायत । मुदा मधेशी शक्तिके चिन्तन करक चाही ।

नेपालक राजनीतिमे भारत अभिनेता !
मधेशी राजनीतिक दल नेपालके राजनीतिक फ्रेमवर्कके भितर रहिकऽ काज करैत अछि । मधेशी राजनीतिक दलमात्रे नहि नेपालके सभ राजनीतिक शक्ति कोनो ने कानो तरहेँ विदेशी शक्तिसभसँ प्रभावित अछि । मधेशकेँ भारतसँ जोड़िकऽ देखबाक काठमाण्डूके प्रवृत्ति गलत अछि । मधेशी दलमे भारतके सक्रिय भूमिका छइ, हम अपन किताबमे सेहो ई बात लिखने छी । पार्टी गठनसँ लऽ कऽ पार्टी विभाजनधरिमे भारतके विभिन्न संयन्त्रके भूमिका हमसभ देखने छी । मुदा भारतके एहन भूमिका मधेशी दलमे मात्रे देखल गेल तेहन बात नहि । नेपाली कांग्रेस, एमालेके महाधिवेशनमे भारतके भूमिका देखाइत अछि, माओवादीमे कोन नेताके कत्तेक आगू बढाओल जाय ताहिमे भारतके भूमिका देखल जाइत अछि । काठमाण्डूमे कोन पार्टीके सरकार बनत ? के मन्त्री बनत ? ताहिमे भारतके भूमिका देखल जाइत अछि । ई समग्र सन्दर्भमे भारत नेपालके राजनीतिम प्रमुख शक्तिके रुपमे अछि । भारत नेपालके आन्तरिक राजनीतिके प्रभावित करैत अछि ताहिमे मधेशी शक्ति प्रभावित भेनाइ स्वभाविक अछि । कियाकि मधेशी दल नेपालक राजनीतिक बृत्तमे अछि । खुला सीमा, मधेशकेँ बिहार, उत्तरप्रदेशसँ सांस्कृतिक सम्बन्धके कारण मधेशी दलकेँ भारतसँ सञ्चालित देखनाइ गलत हएत । नेपालके राजनीतिक सब शक्तिके स्वायत्त हएबाक प्रयास करबाक चाही । मुदा खुला सीमा जेहन कारणसँ भारतसँ हमरसभके विशेष सम्बन्ध अछि सेहो बुझक चाही ।  भारत नेपालक राजनीतिमे ७० वर्षसँ एकटा अभिनेताके रुपमे अछि । जाधरि नेपाल अपने शक्ति सम्पन्न नहि हएत ताधरि भारत अभिनेताके रुपमे रहत । ताहिके लेल नेपाली राजनीतिक शक्ति, नेपाली राष्ट्रियता, नेपालक आर्थिक संयन्त्रके मजबुत होबऽ पड़त ।

कार्यगत एकता हुअए
मधेशमे सभ राजनीतिक दलके एकीकरण नहि हएत । कियाक त मधेशी समाज विभाजित अछि । पहाडमे सेहो बहुते पार्टीसभ अछि । मधेशी समाजमे अन्तरविरोध, जातीय प्रश्न, वर्गीय प्रश्न अछि । नेतासभके अपन अपन महत्वाकांक्षासभ अछि । दोसर जहिना नेपालमे बहुदलीय प्रजातन्त्र अछि तहिना मधेशमे सेहो बहुदलीय प्रजातन्त्र अछि । ओत्तउ बहुतो पार्टी अछि जे एक दोसरासँ प्रतिष्पर्धा कऽ रहल अछि । मुदा ओ दलसभमे एजेण्डा समान अछि । ओ एजेण्डा पूर्ति करबालेल कार्यगत एकता हएब आबश्यक अछि । जँ कार्यगत एकता नहि भेल त ओ एजेण्डा पूर्ति नहि हएत आ सबके घाटा हएत । मधेशी पार्टीकेँ एकीकरणसँ बेशी हम कार्यगत एकतापर जोड़ देबऽ चाहैत छी । समस्या अछि नेतासभक महत्वाकांक्षा । मधेशक नेतृत्वमे दुरदृष्टि नहि देखल गेल । संविधान बनबाधरि कार्यगत एकता नहि भेल त हुनकासभके राजनीति प्रश्न उठत सेधरि ओ सभ नहि बूझि सकलैथ ।

विकास क्षेत्रके मोडलकेँ विरोध हुअए
एक मधेश एक प्रदेशके माग मधेश आन्दोलनके क्रममे उठल । घोषणा पत्रमे ई बात राखल गेल । मुदा जहिया जहिया गम्भीर निर्णयके समय आएल मधेशी दल एक मधेश प्रदेशके माङ छोड़िकऽ सम्झौता कएने अछि । मधेशी दल ई माङ छोड़लाक बादो काठमाण्डू हौवा बना देलक । मधेशके बदनाम करबालेल काठमाण्डू ई हल्ला कएलक जे मधेशी दल एक मधेश प्रदेश मङगैत अछि पहाडमे बहुत प्रदेश आ मधेशमे कम प्रदेश सम्भव नहि से कहिकऽ प्रोपगाण्डा कएल गेल । पहिल संविधानसभाके क्रममे सेहो संविधानसभा भितरके समिति या राज्य पुनर्संरचना आयोगमे एक मधेश प्रदेशके बात नहि छल । ओहिमे मधेशी दलसभसँ मनोनित सदस्य मधेशमे दू प्रदेशमे मधेशी शक्तिसभ हस्ताक्षर कएने छल । एकीकृत नेकपा माओवादी आ मधेशी दलके नेतृत्वके सरकार जहिया रहए तहिया मधेशमे दू प्रदेश नहि भऽ सकल । एक मधेश प्रदेश आब एजेण्डामे नहि अछि । मधेशमे दू प्रदेश हएत की दूसँ बेशी हएत ई बड़का प्रश्न अछि । आब मधेशमे दू प्रदेश हएत ताहिमे समस्या अछि । पुरान विकास क्षेत्रके मोडलमे संघीयतामे जयबाक, उत्तर दक्षिण विभाजनके जे बात कांग्रेसके सभासद् संविधानसभामे रखने छथि एकर विरोध हएबाक चाही । एहिसँ मधेशके विभाजन हएत एकर विरोध हएबाक । मधेशमे दू प्रदेश या दूसँ बेशी प्रदेश हएत से बहसके विषय अछि । विकास क्षेत्रीय मोडलके नहि स्वीकारल जाय । 

नेपालेमे अधिकार खोजऽ पड़त
मधेशी नेपाली राज्यसत्तामे अपन पहिचान खोजनिहारसभ अछि । बहुमत ओहने अछि । कुर्ता, धोती लगबैछी लेकिन हमहुँ नेपाली छी से भावना मधेशी जनताके छइ । एकटा नेपाली नागरिक जकाँ हमरो बराबरीके हक भेटबाक चाही से मधेशी चाहैत अछि । हमरे अपन प्रान्त हुअए, भेटए से ओ मंगैत नेपाली राज्य संयन्त्रसँ जुड़ऽ चाहैत अछि । मधेशी दलसभ सेहो इएह कहैत अछि । कियो पृथकतावादी माङ नहि रखने अछि । दोसरदिश एहनो शक्ति अछि जे मधेशके नेपालसँ अलग बनाबऽ चाहैत अछि । नेपाली राज्यसत्ता मधेशके माङ, एजेण्डाके सम्बोधन जँ करए त एहन पृथकतावादी आवाज सेरा जायत । ३३ प्रतिशत जनसंख्या रहल मधेशीके अलग राज्य बनाएब आवश्यक नहि । मधेशके नेपाल भितरे अधिकार खोजबाक चाही आ नेपाल भितरे ओकरा अधिकार भेटतै । 
अन्तर्वार्ता / जितेन्द्र झा

(पत्रकार प्रशान्त झासँ कएल गेल बातचीतके मुख्य अंश । ) 
साभार गोरखापत्र मैथिली पृष्ठ २०७१ साउन २ गते 

विमलक “इतिहासक घाओ” आ कवि गोष्ठी

वरिष्ठ साहित्यकार डा. राजेन्द्र विमलक कथा संग्रह इतिहासक घाओक अषाढ़ १९ गते बुधदिन विमोचन कएल गेल । मैथिली विकास कोषद्वारा प्रकाशित कथा संग्रहकेँ भौतिक पूर्वाधार तथा यातायात मन्त्री विमलेन्द्र निधि आ एकीकृत नेकपा मओवादीक मधेश ब्युरो इन्चार्ज रामचन्द्र झा संयुतm रुपसँ विमोचन कएलन्हि । 

ओ कार्यक्रममे मैथिली विकास कोषक दूटा पुरस्कार प्रदान कएल गेल । डा.धीरेन्द्र साहित्य संस्कृति पुरस्कार डा. राजेन्द्र विमलकेँ आ सलहेश सांस्कृतिक पुरस्कार रामानन्द युवा क्लव जनकपुरके प्रदान कएल गेल । ओ पुरस्कारक राशि ५१÷५१ हजार अछि ।


रचनात्मक बनथि जेष्ठ नागरिक



जेष्ठ नागरिकक अवस्था सम्बन्धमे एक दिवसीय कवि गोष्ठी शनिदिन जनकपुरमे सम्पन्न भेल । ओ गोष्ठीमे ३५ गोटे कवि कविता वाचन कएलन्हि ।  गोष्ठीमे डा. राजेन्द्र विमल, डा.रेवती रमण लाल, राम भरोस कापडि भ्रमर, अयोध्यानाथ चौधरी, महेन्द्र कुमार मिश्र, अशोक दत्त, राजाराम सिंह राठोर, हिमांशु चौधरी, दिगम्बर झा दिनमणि, रोशन कुमार झा, ऋषिशेष, तोयाराज घिमिरे, विजय दत्त मणि, काशीकान्त झा रसिक, रुद्र्रनारायण झा मड़ै, युगल किशोर लाभ, रामभरत साह, जीवछ पाण्डे, कृष्णशंकर मिश्र, अमरकान्त अमर, पुनम झा मैथिल, प्रेमविदेह ललन, कैलाश दास सहितक कविसभ कविता वाचन कएलन्हि । 
तहिना मनोज प्रमेश, नागेश्वर मण्डल, राजेश्वर ठाकुर, चन्द्रकान्त झा चन्द्र, रामहृदय प्रसाद, सपना कर्ण, इन्द्रकुमार मधेशानन्द, अरुण राउत सहितक रहल छलथि । वरिष्ठ साहित्यकार डा. राजेन्द्र विमलक सभापतित्वमे भेल गोष्ठीमे प्रमुख अतिथिक आसनसँ बजैत पटनासँ आएल मैथिलीक वरिष्ठ समालोचक डा. रामानन्द झा रमण जेष्ठ नागरिकसभके समयके सँग सम्झौता करबाक सल्लाह देलन्हि । घरमे अस्वस्थ्य होवएसँ पूर्वधरि रचनात्मक काजमे लगबाक सल्लाह दैत ओ कहलन्हि घरमे बैसलाक बादे अपमान अनुभव होइत देखल गेल अछि । अपन पुूर्खाके कोना कऽ वृद्धावस्थामे सम्मान देल जाए एहि सम्बन्धमे पर्याप्त जनचेतनाक आवश्यकता रहल हुनक कथन छल ।

साभार मैथिली पृष्ठ गोरखापत्र २०७१ साउन २ गते 

मधुश्रावणी पाबनि

मैथिल नव विवाहिताद्वारा पूजल जाएबला मधुश्रावणी पाबनि बुधदिनस सुरु भेल अछि । एहि पाबनिमे नवविवाहिता १५ दिनधरि व्रत आ पूजा कएल करैत अछि । साओन कृष्ण पञ्चमीसँ साओन शुक्ल तृतीया तिथिधरि मनाओल जाएबला एहि पाबनिमे मूलरुपसँ नाग, नागिन, गौरी आ महादेवके पूजा होइत अछि । पतिक दीर्घायूक कामना आ पारिवारिक सुख समृद्धिक कामनासहित कएल जाएबला पाबनिमे निराहार रहि व्रती १५ दिनधरि कथा सुनल करैत अछि । मैथिल व्राह्मण, कायस्थ आ सोनार जातिमे मधुश्रावणी पूजा करबाक चलन अछि । 
जनकपुरक मन्दिर परिसरमे दूपहरियामे सूर्यक ताप कम होइते मधुश्रावणी पूजा केनिहारि व्रती आ संगी बहिनपासभके भीड लागि जाइत अछि । हरियर साड़ी पहिरने व्रतीसभ गीत गबैत फुल लोढ़ल करैत अछि । बाँसक डाला लेने युवती आ महिलाक झुण्ड टोल टोलसँ निकलिकऽ मन्दिर, फुलबारीसभमे जम्मा होइत अछि । फुल लोढ़िक डाला सजएबाक प्रतिष्पर्धे भेल करैत अछि । अपन समूहक डाला नीक जकाँ सजाबऽ लेल युवती तथा स्त्रीगण नीक नीक फूल लोढ़ि डाला सजबैत छथि । जनकपुरक विवाह मण्डपमे मैथिल ललनाके बेस भीड़ देखल जाइत अछि ।

वर आ कनियाँ प्रतिदिन मधुश्रावणी पूजाक कथा सँगहि सुनैत छथि । जे वर आ कनियाँके सामीप्यता बढएबालेल सहायक होइत अछि । मधुश्रावणी कथामे आबएबला शिव पार्वतीक प्रेम कथासहितके प्रसंगसभमे रति रागके सम्मिश्रण भेटैत अछि जाहिसँ नवविवाहिताके मनोरञ्जन मात्र नहि होइत छन्हि खिस्से पिहानीमे प्रेम, अह्लाद बढेबाक अवसर सेहो भेटैत छन्हि । विदेश या अपन गामठामसँ दूर रहनिहार कतेको लोकके ई अवसर नईं भेटैत छन्हि जे ओ कनिञा संगे रहि कथा सुनथि । तैइयो कथाके अन्तिम दिन वरके उपस्थिति अनिवार्य मानल जाइत अछि । 
साभार मैथिली पृष्ठ गोरखापत्र २०७१ साउन २ गते  

"रद्दी कागज" (कविता)

अमरकान्त अमर

हमरे                                        
आइ
हमरा
बिसरि गेल ।
हम कहिओ
नहि सोचने छलहुँ
मुदा,
बात बिपरित ।
ठीक छैक,
ओकर ओहने सोँच ।
मोन पड़ैया
ओकर वचपन
तऽ
हृदय कलैप जाइए ।
की ? लोक
इएह
दिन लेल
कोनकोन
बेलना नहि बेलैए ।
की जाने गेलै
मायक सिनेह
बापक दुलार ।
शायद,
स्मरण आबि जाइक
किएक तऽ
ओहो
आइ
ककरो माय आ बाप छैक ।
जेना
आइ
अपन वच्चाकेँ
सिनेह करैए
काल्हि
ओकरो
ओहिना
किओ करैत छल ।
वच्चा
दुध नहि पिबए
तऽ
मायक छाती
कनकनाए लागए
भूखलो रहि
ओकर
पेट भड़ए ।
मुदा,
आइ
वच्चा
अपनेसँ
दूर भागए ।
ओकर अपने
ओकरा बोझ बुझाए ।
केश पकिते
हमरा
रद्दी कागज बुझए लागए।
मुदा,
ओकरा
बुझए पड़ैतक
रद्दी कागज सेहो
काज अबैत छैक ।
ओकर अज्ञानता
ओकरा घेरि लेने छैक ।
कहिओ
ओकरो केश पकतैक ।
ओकरो सहारा
चाहबे करी
ई चक्रमे
सभकेँ घुमए पड़त
एहि सत्यकेँ
नकारल सेहो नहि जा सकैया ।
तखन
कहब व्यर्थ
सभक स्वतन्त्रता
२१ म सदीक बात थिक ।
बुढ़ो माय बापकेँ
परिवर्तित होएब आवश्यक ।

साभार मैथिली पृष्ठ गोरखापत्र २०७१ साउन २ गते 

गुलाब काकी (कथा)

गणेशकुमार लाल

ओ माघके एकटा सुन्दर सबेर छल । दिनके शुरुआत एक कप स्वादिष्ट कफीसँ भऽ जाइत से इच्छा छल । किछ क्षणमे वास्तवमे गुलाब काकी तीनटा गरम कफीलऽ कऽ आबि गेलीह । हम आ सुुन्दर खुशी भऽ गेलहुँ । ओही दिन ठण्ढासँ कपकपि लागल छल । गुलाब काकीके हाथमे एकटा लिफाफ आकारके एकटा फोटो छल ।
बरण्डाके ठिक उत्तर कातमे विस्कुट राखल छल । हमर नजरि पड़िते गुलाब काकी आनिकऽ प्लेटमे राखि देलखिन । एहि समय पूर्व दिशामे सूर्य भगवान अपन लालिमा चारो तरफ फैला देलखिन । गुलाब काकी हमर सबके छाति भितर ओही दिनसँ बैस गेलिह । 
गुलाब काकीके सबसँ बेसी ध्यान छलैन व्यवसायीक कृषिपर । पूर्व कालमे खाद्यान्न अभावसँ बहुत बालबालिकाकेँ कुपोषणसँ मृत्यु भऽ जाइत छल । कृषि विकासक समावेसी आधारक निर्माण तथा महिला लोकनिक व्यापक सहभागिता संगहि प्रकृतिक संसाधन संरक्षरण आ सतत उपयोगके योजना बनेबामे निपूण छलिह गुलाब काकी । अपन जीविका हेतु व्यावसायीक कृषि पर निर्भर छलिह । परन्च भूमि आ ओहीमे उपजल अन्न पर लागऽ वाला श्रम आ पूँजीक अनूपातमेभेटऽ वाला लाभ अपर्यात छल ।
वर्तमान समय मे खाद्यवस्तु के सहज पहुच के मानव अधिकार के महत्वपूर्ण पक्ष के रुप मे लेल गेल अछि । ताही के बुझैत गुलाब काकी कृषि व्यापारके  मूल्य श्रृंखला मे आवद्धकऽ हरित क्रांन्तिकऽ केलिह ।
गुलाब काकी के पिता चन्द्रशेखर बाबू किछ दिनक बाद सरकारी सेवासँ निवृत होबाला रहैथ । अवकाश ग्रहण करबासँ पहिने अपन बेटी के हाथ पियर कऽ देब चाहैत रहैथ । अषाढ मासछल अहिमहिनामे विवाह्र गृहप्रवेश ्रयगोपवीत्र आदि सब प्रकारके शुभकार्य ब्राह्मण सब के मत अनुसार वर्जित छल ।
विवाह के शुभ मुहुर्त माघके प्रथम रविकेँ दिन रात्रिके नौ बाजिकऽ पैतिस मिनट निकलल छल ।चन्द्रशेखर जी के सम्बन्ध समाजके मध्मवर्गसँ छल । ओ अपन जातिकेँ रीतिरिवाज आ सामाजिक प्यबहारमे जकडल समय छल । विवाह मुर्हूत के कट्ठरतासँ पालन नही केलासँ दुष्परिणाम भऽ सकैत अछि ईविचार हुनका सदैब रहलैन । अहि बातकेँ ध्यान मे रखैत चद्रशेखर जी विवाह के सब प्रबन्ध अपन देखरेख मे सुनिचित केने छलाह । परिवारके सबसँ वयोवृद्घ व्यतिmकेँ हाथमे घडी दऽ देने छलखिन । जाहिसँ मुुहुर्त के समय अनुसार सब कार्य भऽ जाय ।
विवाहक सब काम घरके नजदिक मैदान मे भऽ रहल छल । बहुत बडका शामियाना टागल छल । निचामे बहुत बरियाती सब बैसल छल । बरबधु आ हुनकर रिसतेदार एकटा विशेष मंडपमे बैसल रहैथ । वयोवृुद्घ सज्जनसँ संकेत प्राप्त होइते ब्राह्मण सब शँंख बजाबऽ लगलाह । बैन्डबाजा बाजऽ लागल । ठीक दु बाजिकऽ इकतिस मिनट पर मनोहरराम जी संगे विवाह समपन्न भऽ गेलैक गामबासी सब हरसित भऽ उठलाह । मंगलाचरण गायल गेल ।
गुलाब काकी घरके काम काज समहारी लेलिह । मसुरीके खेतमे फुलल फल आरी पर ठाड भऽ कऽ गुलाब काकी देखकऽ आनन्दित छलीह । पूर्णतः जैविक कृषि उत्पादन कएल मसुरी छल । जैविक कृषि उत्पादन प्रति देश विदेशमे आकर्षण बढिरहल अछि । अन्य आदमीक खेतसँ बहिकऽ प्रदूषित पानी मसुरीके खेत नही अबैक ताही हेतु खेतके चारुकात तीन फीट चौडा आ दू फीट गँहिरगर नाला पहिनेसँ बनायल गेल छल ।
जिल्लाके कृषि अनुसन्धान परिषद अन्तरगत कृषि प्रदर्शनि लागल छल । जाहि मे गुलाब काकी अपन कृषि उत्यपादन मसुरी आ मूग दाल प्रर्दशनि मे रखने छलिह । प्रदर्शनी  देखबला लोग कृषक, छात्र, नेता, कर्मचारी, किसानसब अबैत छलाह । देश प्रथम योजना कालेसँ कृषि उत्यपादन दूरा सबके भोजन भेटैक ताही हेतु उत्यापादनक जैविक प्रविधि के अवधारण राखल गेल छल ।अहि मे खाद्यवस्तु दालि,चाउर आ गहुम आ दुध आ दुधजन्य पदार्थके उत्पादन कार्यमे जोड देल गेल छल ।
वुधदिन छल । प्रर्दशनिमे दर्शनार्थि सब के बहुत भिर लागल छल । कारण छल कृषि प्रर्दशनि मे कृषि मन्त्री जी के प्रर्दशनि मे एवाक सुचना जिल्ला कृषि कार्यालयसँ प्रसारित कैल गेल छल । कृषि मन्त्री जी समय पर आबि कृषि प्रर्दशनि के सर्वेक्षण केलैन । गुलाब काकी के स्टल पर आबिकऽ कृषि मन्त्री जी मसुरी आ मुग के उत्यपादन कैयल खाद्यवस्तु के देखलगलाह । बहुत पत्रकार आ कैमराबला व्यतिm सबकोई फोटो खिचनाइ शुरु कैलैन । मन्त्री जी महिला कृषक गुलाब काकीकेँ नमस्कार कऽ पुछलखिन अहाँ जैविक खेती करैत छी?
गुलाब काकी ः श्रीमान् हम जैविक कृषि खेती करैत छी ।
मन्त्री जी ःकतेक बिगहा खेतमे?
गुलाब काकी ः १५ बिगहा मे मसुरी आ ५ बिगहा मे मुंग ।
मन्त्री जी ः सब खेत अहाकेँ अपन अछि ।
गुलाब काकी ः नहि, सब खेत हमर नहि अछि । हम समुदायमे आधारित खेती करैत छी । अहीसँ समुदाय के लाभ प्राप्त होइत छैक ।
मन्त्री जी ः अहाँक समुदायमे कतेक किसान छथि ।
गुलाब काकी ः  हमरा सबक समुदायमे पच्चसि महिला कृषक छथि ।
मन्त्री जी ः खाद्यान्न आ खाद्य वस्तु के संरक्षण मे कि समस्या अछि ?
गुलाब काकी ः मूख्यरुपसँ अन्न भण्डारणकेँ समस्या अछि । पक्का गोदाम घर नहि भेलासँ वरखाा समय मे खाद्यवस्तु खराब भ जाइत अछि ।
मन्त्री जी सँगे कृषि सचिब अपन डायरी मे गुलाब काकी के समस्या लिखलैन ।छओ पाँच नहि जानबाली गुलाब काकी कृषि कार्य आ सामुहिक कृषि उत्पादन आ व्यापारी करणसँ महिला कृषकसब अपन बच्चा सबके स्कूलमे अध्ययन करा रहल छलिह ।अतःहुनकर परिवार शिक्षा प्राप्त करबामे आगा छलैन ।
कृषि प्रर्दशनीक आइ समाप्ती छलैक । अगहनी, रब्बी आ तरकारी, फलफूल जतेक स्टल प्रर्दशनि मे लागल छल ओही सबमे प्रथम पुरसकार कृषि मन्त्रीजी घोषण करबाला छलैथ ।
मन्च पूर्णरुपसँ फूलमाला सँ सजल छल । कृषि कार्यालयके एकटा कर्मचारी गुलाब काकी के बजाब एलखिन । गुलाब काकी अपना सगे फुलमति देवी के सेहो लऽ गेलिह ।
ठिक दिनके चारी बजे कृषि मन्त्री जी आबि गेलाह । हुन्कर भव्यरुपसँ स्वागत कैल गेल ।पुरस्कारक घोषण भेल । कृषि मन्त्री जी सबसँ पहिने गुलाब काकी के महिला कृषक मे पुरस्कार हेतु घोषण केलैन जाही मे एकलाख टाका आ गोदाम घर निर्माण सरकार करा देत से मन्त्री जी घोषण केलैथ ।
जनतासबसँ भडल भिढमे थपडी पर थपडी पारी लागल । वातावरण पूर्णरुप सँ गुनजायमान छल । जनता सब खुशि छल जे कृषि मन्त्रालय वास्तव मे सही रुपसँ महिला कृषकके पहिचान केलक ।
गाममे वर्षा भे छल । एहन वर्षा जे छुटवाक नामे नही लैत छल । गुलाब काकी के पोताके सर्दीसँ निमोनिया लागि गेल छल । अतस् गुलाब काकी बड दुसखी छलिह । लोक कहैत अछि ससार दुसख आ दुसखसँ निमार्ण भेल अछि से कहैत छथि ज्ञानी आ सन्त सब ।
गुलाब काकीके वनस्पती शात्रके सेहो ज्ञान छलैन । ओ टेलिभिजन कार्यक्रममे आचार्य बालकृष्णजीकेबतायल नागरमोथा ९फुुलकी ०के बारेमे औषधिय गुण के लिखकऽ डायरीमे रखने छलिह ।नागरमोथा जलिय आ आद्र्र भूमि जगहमे पैदा होइत छैक । अहिके केन्दमे एक प्रकार के सुस्वाद तेल पावल जाइत अछि । अतः बोखारसँ पीडित पोताके नागरमोथा आ गिलोइ के काढा बनाकऽ पियेनाइ शुरु केलैन । दुु दिन के बाद ज्वर समाप्त भऽ गेल ।
सरकारी स्तरसँ निर्माण कैल गेल गोदाम घर बीस फीट लम्बा आ १५ फीट चौडा २५ फीट उँचाई के गोदाम घर निमार्ण भऽ गेलैक । गामके किसान सब बहुत खुशी छलाह । महिला कृषक आ समूदायमे आबद्ध सब किसान भगवानक पूजा कऽ मिठाई बटलैन । गुलाब काकी नीला रंग के सिल्क सारी मे सजल छलिह । अहि सारी मे बेहतर टैकसचर आ जीवंत रंग प्राप्त होइत छैक ।

भगवानक शुभ अनुकम्पासँ चारो दिशासँ हल्का गुलाबी आ जोगिया आभा चिन्ह उभरलागल छल ।उषाके अवतरण होब बला छलैक । जाहीके उजालासँ भरपूर उर्जा  किछ घंटा मे गाम मे फैल बला छलैक । गुलाब काकी गंगा सागर जेबाक लेल बस मे बैस गेल छलिह । कहबि छैक । सारा तीरथ बेर बेर गंगा सागर एक बेर । माता गंगा बहैत बहैत गंगा सागर मे मिलैत छैथ । ई सुन्दरबनसागर द्वीपके दक्षिण हिस्सा छैक । तीस किलो मिटर लम्बा आ नौ किलो मिटर चौडा अहि पबित्र द्वीपके अन्नमय तीर्थ मानल जाइत अछि । गुलाब काकी अहिपवित्र तीर्थ दर्शन हेतु चलि गेलीह । 
साभार मैथिली पृष्ठ गोरखापत्र २०७१ साउन २ गते 

2014-06-30

कला आ पर्यावरणकेँ जोड़ैत मिथिला चित्रकला

मिथिला चित्रकलामे कला आ पर्यावरणके अन्तरसम्बन्ध देखएबाक अद्भुत क्षमता रहल कला आ संस्कृतिविद्सभ कहलनि अछि । हरेक मिथिला चित्रकलामे पर्यावरण आ मानवताकेँ जोड़ल गेल चित्रकलाका जानकारसभ कहलनि । 

कला आ पर्यावरणकेँ अन्तरसम्बन्ध विषयपर राजधानीमे जेठ २२ गतेसँ १ अषाढ़धरि चित्रकला प्रदर्शनीक आयोजन कएल गेल । जाहिमे नेपालक २७ आ भारतक ६ गोटे चित्रकार मिथिला पेन्टिंग प्रदर्शनी कएलनि । तहिना राजधानीक पारम्परिकपौवा चित्रकलाके सेहो प्रदर्शनी कएल गेल । बबरमहल स्थित नेपाल आर्ट काउन्सिलक हलके भेल प्रदर्शनीमे मिथिला चित्रकला आ पौवा चित्रकला कलाप्रेमीक बेश प्रशंसा पओलक ।
मिथिला चित्रकला कोनाकऽ कला आ पर्यावरणकेँ जोड़ैत अछि से बतएबालेल सहभागीसभ एक स एक चित्रकला प्रदर्शन कएलनि । अधिकांशमे लोकके दैनिकजीवनकेँ चित्रण कएल गेल छल । मधुबनीक अमरेश कुमार झा पानिभरिकऽ घुरैत महिलासभके मिथिला चित्रकलामे उतारने छलथि त बबिता साह कदम्ब गाछपर बैसि बाँसुरी बजबैत भगवान कृष्ण आ घासपात खाइत गायमालके सजिव चित्रण कएलनि । बौवा देवीक चित्रकलामे रामायणक झलक छल, हनुमान भगवान रामक सन्देश लऽकऽ जखन माँ सीताकेँ अशोक वाटिकामे भेटैत छथि ताहि क्षणके वौवा देवी अपन चित्रमे उतारने छलथि । तहिना देवकला कृषकके दैनन्दिनकेँ उजागर कएलनि । पशुपालन, खेतीगृहस्थीक चित्रमे पर्यावरणके महिन ढंगसँ जोड़ल गेल अछि ।
 
चित्रकलामे पार्यावरणसँ सम्बन्ध खोजबाक उद्देश्यसँ एहन कार्यक्रम पहिल बेर भेल । संस्कृतिविद् रामदयाल राकेश मिथिला कलामे पर्यावरण, डा वीणा बाङ्देल कलामे प्राचीनता आ आधुनिकता आ प्राध्यापक मुकुन्दराज अर्याल पौवाकलाक विषयमे मन्तव्य रखने रहथि । मिथिला चित्रकलामे पर्यावरणकेँ सम्बन्ध बतबैत राकेश कहलनि अष्टदल, षट्कोण, स्वस्तिक, सर्वतोभद्र, देवोत्थान, छठिसहितके अरिपनमे भूमि आ पर्यावरणकेँ सम्बन्ध अछि । मैथिली कलाकेँ मुख्य ध्येय पर्यावरण संरक्षण रहल राकेशक कहब छन्हि । विवाहमे आम आ महुआके विवाह होइ वाबटसावित्री पूजामे बड़के पूजा सभमे पर्यावरण संरक्षणके सन्देश निहीत अछि । 


प्रदर्शनीमे नेपालक अजित साह, प्रीति ठाकुर, बबिता झा, रीना साह, बबी झा, रेणु कर्ण, चन्दा साह, रेवती मण्डल, देवकला, रुवी कर्ण, गंगावती, सरस्वती झा, गीता कर्ण, शोभा देवी, ज्ञान कुम, श्याम सुन्दर यादव, इनद्रकला निधि, सुधिरा कर्ण, मदन कला, सुलेखा साह, मधुमाला मण्डल, सुलोचना कर्ण, मञ्जुला ठाकुर, सुनिता शर्मा, फुलो साह, उर्मिला यादव आ पुनम झा सहभागी रहथि । तहिना मधुबनीसँ अमरेशकुमार झा, गविता देवी, बबिता साह, रंजित झा, बौआ देवी आ रेखा झा सहभागी छलथि । नेपाल आर्ट काउन्सिल आ विपी कोइराला भारत नेपाल फाउण्डेशनकेँ संयुक्त आयोजनमे प्रदर्शनी भेल छल । साभार नयाँ नेपाल २०७१ साल अषाढ १६ गते