2014-07-19

मधेशक उत्तर-दक्षिण विभाजनकेँ विरोध हएबाक चाही : प्रशान्त झा

मधेशी शक्तिक महत्व घटल
पत्रकार प्रशान्त झा 
एहिमे कोनो शंका नहि जे दोसर संविधानसभा चुनावके बाद मधेशके राजनीतिक शक्ति घटल छइ । जे उँचाई मधेश आन्दोलन, संविधानसभाक चुनाव, राष्ट्रपति उपराष्ट्रपति चुनाव, सरकार निर्माणके क्रममे देखने रही ओ आब नहि छइ । नेपालक राजनीतिमे बितलाहा पाँच वर्षमे सरकार बनाबऽमे मधेशी दलसभ स्वींग फोर्सके रुपमे देखल गेल, ओसभ जे दलके समर्थन दैत छल वएह दल सरकार बनबैत छल । आब ओ शक्ति मधेशी पार्टीलग नहि रहिगेल । मधेशी दलके भूमिका बिना सेहो सरकार बनि सकैत अछि । एखनके सरकार सेहो एकरा प्रमाणित कएने अछि । संख्यात्मक रुपमे मधेशी शक्ति कमजोर देखल गेल अछि, राजनीतिक रुपमे ओहिसँ महत्व घटल अछि ।

असन्तुष्टि हरओलक
दोसर संविधानसभा चुनावमे भेटल पराजयके बाद मधेशी राजनीतिक दलके जे चिन्तन करबाक चाही से नहि भऽ सकल । ओसभ किया हारलथि ? पार्टीक फुटके कारण मात्रे हारलथि ? चारिवर्ष सरकारमे रहिकऽ ओसभ अपन चुनाव क्षेत्रमे की केलैथ ? अपन आधारक्षेत्र मधेशमे कोन सेवा प्रवाह कएलथि ? मधेशमे कांग्रेस, एमालेसँ खुश भऽ कऽ भोट कएल गेल तेहन बात नहि । मधेशी दलसभप्रति जे असन्तुष्टि छल तकर कारण ओ सभ कांग्रेस, एमालेके भोट देलथि । ओ असन्तुष्टिके कारण की छल तकर खोजी करबाक चाही मधेशी दलके, लेकिन ई नहि भऽ सकल ।

मुद्दा कहियो नईं मरत
मधेशी दलसभके शक्ति घटल अछि मुदा मधेशके एजेण्डा एखनो स्थापिते अछि । मधेश आन्दोलनसँ उठल संघीयता, समावेशीकरण, पहिचान, प्रतिनिधित्व जेहन मुद्दा एखनो स्थापित अछि । संविधानसभामे मधेशी दल संख्यात्मक रुपसँ कम अछि तेँ ई एजेण्डासभके छोड़ि देल जाय जँ काठमाण्डूक शासक वर्ग ई सोचैया बड़का मूर्खता हएत । २००७ सालदिश उठल नेपाल तराई कांग्रेसके एजेण्डा ६० वर्षक बाद जँ उठि सकैया त फेर मधेशके एजेण्डा कत्तउ नहि जायत । मुदा मधेशी शक्तिके चिन्तन करक चाही ।

नेपालक राजनीतिमे भारत अभिनेता !
मधेशी राजनीतिक दल नेपालके राजनीतिक फ्रेमवर्कके भितर रहिकऽ काज करैत अछि । मधेशी राजनीतिक दलमात्रे नहि नेपालके सभ राजनीतिक शक्ति कोनो ने कानो तरहेँ विदेशी शक्तिसभसँ प्रभावित अछि । मधेशकेँ भारतसँ जोड़िकऽ देखबाक काठमाण्डूके प्रवृत्ति गलत अछि । मधेशी दलमे भारतके सक्रिय भूमिका छइ, हम अपन किताबमे सेहो ई बात लिखने छी । पार्टी गठनसँ लऽ कऽ पार्टी विभाजनधरिमे भारतके विभिन्न संयन्त्रके भूमिका हमसभ देखने छी । मुदा भारतके एहन भूमिका मधेशी दलमे मात्रे देखल गेल तेहन बात नहि । नेपाली कांग्रेस, एमालेके महाधिवेशनमे भारतके भूमिका देखाइत अछि, माओवादीमे कोन नेताके कत्तेक आगू बढाओल जाय ताहिमे भारतके भूमिका देखल जाइत अछि । काठमाण्डूमे कोन पार्टीके सरकार बनत ? के मन्त्री बनत ? ताहिमे भारतके भूमिका देखल जाइत अछि । ई समग्र सन्दर्भमे भारत नेपालके राजनीतिम प्रमुख शक्तिके रुपमे अछि । भारत नेपालके आन्तरिक राजनीतिके प्रभावित करैत अछि ताहिमे मधेशी शक्ति प्रभावित भेनाइ स्वभाविक अछि । कियाकि मधेशी दल नेपालक राजनीतिक बृत्तमे अछि । खुला सीमा, मधेशकेँ बिहार, उत्तरप्रदेशसँ सांस्कृतिक सम्बन्धके कारण मधेशी दलकेँ भारतसँ सञ्चालित देखनाइ गलत हएत । नेपालके राजनीतिक सब शक्तिके स्वायत्त हएबाक प्रयास करबाक चाही । मुदा खुला सीमा जेहन कारणसँ भारतसँ हमरसभके विशेष सम्बन्ध अछि सेहो बुझक चाही ।  भारत नेपालक राजनीतिमे ७० वर्षसँ एकटा अभिनेताके रुपमे अछि । जाधरि नेपाल अपने शक्ति सम्पन्न नहि हएत ताधरि भारत अभिनेताके रुपमे रहत । ताहिके लेल नेपाली राजनीतिक शक्ति, नेपाली राष्ट्रियता, नेपालक आर्थिक संयन्त्रके मजबुत होबऽ पड़त ।

कार्यगत एकता हुअए
मधेशमे सभ राजनीतिक दलके एकीकरण नहि हएत । कियाक त मधेशी समाज विभाजित अछि । पहाडमे सेहो बहुते पार्टीसभ अछि । मधेशी समाजमे अन्तरविरोध, जातीय प्रश्न, वर्गीय प्रश्न अछि । नेतासभके अपन अपन महत्वाकांक्षासभ अछि । दोसर जहिना नेपालमे बहुदलीय प्रजातन्त्र अछि तहिना मधेशमे सेहो बहुदलीय प्रजातन्त्र अछि । ओत्तउ बहुतो पार्टी अछि जे एक दोसरासँ प्रतिष्पर्धा कऽ रहल अछि । मुदा ओ दलसभमे एजेण्डा समान अछि । ओ एजेण्डा पूर्ति करबालेल कार्यगत एकता हएब आबश्यक अछि । जँ कार्यगत एकता नहि भेल त ओ एजेण्डा पूर्ति नहि हएत आ सबके घाटा हएत । मधेशी पार्टीकेँ एकीकरणसँ बेशी हम कार्यगत एकतापर जोड़ देबऽ चाहैत छी । समस्या अछि नेतासभक महत्वाकांक्षा । मधेशक नेतृत्वमे दुरदृष्टि नहि देखल गेल । संविधान बनबाधरि कार्यगत एकता नहि भेल त हुनकासभके राजनीति प्रश्न उठत सेधरि ओ सभ नहि बूझि सकलैथ ।

विकास क्षेत्रके मोडलकेँ विरोध हुअए
एक मधेश एक प्रदेशके माग मधेश आन्दोलनके क्रममे उठल । घोषणा पत्रमे ई बात राखल गेल । मुदा जहिया जहिया गम्भीर निर्णयके समय आएल मधेशी दल एक मधेश प्रदेशके माङ छोड़िकऽ सम्झौता कएने अछि । मधेशी दल ई माङ छोड़लाक बादो काठमाण्डू हौवा बना देलक । मधेशके बदनाम करबालेल काठमाण्डू ई हल्ला कएलक जे मधेशी दल एक मधेश प्रदेश मङगैत अछि पहाडमे बहुत प्रदेश आ मधेशमे कम प्रदेश सम्भव नहि से कहिकऽ प्रोपगाण्डा कएल गेल । पहिल संविधानसभाके क्रममे सेहो संविधानसभा भितरके समिति या राज्य पुनर्संरचना आयोगमे एक मधेश प्रदेशके बात नहि छल । ओहिमे मधेशी दलसभसँ मनोनित सदस्य मधेशमे दू प्रदेशमे मधेशी शक्तिसभ हस्ताक्षर कएने छल । एकीकृत नेकपा माओवादी आ मधेशी दलके नेतृत्वके सरकार जहिया रहए तहिया मधेशमे दू प्रदेश नहि भऽ सकल । एक मधेश प्रदेश आब एजेण्डामे नहि अछि । मधेशमे दू प्रदेश हएत की दूसँ बेशी हएत ई बड़का प्रश्न अछि । आब मधेशमे दू प्रदेश हएत ताहिमे समस्या अछि । पुरान विकास क्षेत्रके मोडलमे संघीयतामे जयबाक, उत्तर दक्षिण विभाजनके जे बात कांग्रेसके सभासद् संविधानसभामे रखने छथि एकर विरोध हएबाक चाही । एहिसँ मधेशके विभाजन हएत एकर विरोध हएबाक । मधेशमे दू प्रदेश या दूसँ बेशी प्रदेश हएत से बहसके विषय अछि । विकास क्षेत्रीय मोडलके नहि स्वीकारल जाय । 

नेपालेमे अधिकार खोजऽ पड़त
मधेशी नेपाली राज्यसत्तामे अपन पहिचान खोजनिहारसभ अछि । बहुमत ओहने अछि । कुर्ता, धोती लगबैछी लेकिन हमहुँ नेपाली छी से भावना मधेशी जनताके छइ । एकटा नेपाली नागरिक जकाँ हमरो बराबरीके हक भेटबाक चाही से मधेशी चाहैत अछि । हमरे अपन प्रान्त हुअए, भेटए से ओ मंगैत नेपाली राज्य संयन्त्रसँ जुड़ऽ चाहैत अछि । मधेशी दलसभ सेहो इएह कहैत अछि । कियो पृथकतावादी माङ नहि रखने अछि । दोसरदिश एहनो शक्ति अछि जे मधेशके नेपालसँ अलग बनाबऽ चाहैत अछि । नेपाली राज्यसत्ता मधेशके माङ, एजेण्डाके सम्बोधन जँ करए त एहन पृथकतावादी आवाज सेरा जायत । ३३ प्रतिशत जनसंख्या रहल मधेशीके अलग राज्य बनाएब आवश्यक नहि । मधेशके नेपाल भितरे अधिकार खोजबाक चाही आ नेपाल भितरे ओकरा अधिकार भेटतै । 
अन्तर्वार्ता / जितेन्द्र झा

(पत्रकार प्रशान्त झासँ कएल गेल बातचीतके मुख्य अंश । ) 
साभार गोरखापत्र मैथिली पृष्ठ २०७१ साउन २ गते 

विमलक “इतिहासक घाओ” आ कवि गोष्ठी

वरिष्ठ साहित्यकार डा. राजेन्द्र विमलक कथा संग्रह इतिहासक घाओक अषाढ़ १९ गते बुधदिन विमोचन कएल गेल । मैथिली विकास कोषद्वारा प्रकाशित कथा संग्रहकेँ भौतिक पूर्वाधार तथा यातायात मन्त्री विमलेन्द्र निधि आ एकीकृत नेकपा मओवादीक मधेश ब्युरो इन्चार्ज रामचन्द्र झा संयुतm रुपसँ विमोचन कएलन्हि । 

ओ कार्यक्रममे मैथिली विकास कोषक दूटा पुरस्कार प्रदान कएल गेल । डा.धीरेन्द्र साहित्य संस्कृति पुरस्कार डा. राजेन्द्र विमलकेँ आ सलहेश सांस्कृतिक पुरस्कार रामानन्द युवा क्लव जनकपुरके प्रदान कएल गेल । ओ पुरस्कारक राशि ५१÷५१ हजार अछि ।


रचनात्मक बनथि जेष्ठ नागरिक



जेष्ठ नागरिकक अवस्था सम्बन्धमे एक दिवसीय कवि गोष्ठी शनिदिन जनकपुरमे सम्पन्न भेल । ओ गोष्ठीमे ३५ गोटे कवि कविता वाचन कएलन्हि ।  गोष्ठीमे डा. राजेन्द्र विमल, डा.रेवती रमण लाल, राम भरोस कापडि भ्रमर, अयोध्यानाथ चौधरी, महेन्द्र कुमार मिश्र, अशोक दत्त, राजाराम सिंह राठोर, हिमांशु चौधरी, दिगम्बर झा दिनमणि, रोशन कुमार झा, ऋषिशेष, तोयाराज घिमिरे, विजय दत्त मणि, काशीकान्त झा रसिक, रुद्र्रनारायण झा मड़ै, युगल किशोर लाभ, रामभरत साह, जीवछ पाण्डे, कृष्णशंकर मिश्र, अमरकान्त अमर, पुनम झा मैथिल, प्रेमविदेह ललन, कैलाश दास सहितक कविसभ कविता वाचन कएलन्हि । 
तहिना मनोज प्रमेश, नागेश्वर मण्डल, राजेश्वर ठाकुर, चन्द्रकान्त झा चन्द्र, रामहृदय प्रसाद, सपना कर्ण, इन्द्रकुमार मधेशानन्द, अरुण राउत सहितक रहल छलथि । वरिष्ठ साहित्यकार डा. राजेन्द्र विमलक सभापतित्वमे भेल गोष्ठीमे प्रमुख अतिथिक आसनसँ बजैत पटनासँ आएल मैथिलीक वरिष्ठ समालोचक डा. रामानन्द झा रमण जेष्ठ नागरिकसभके समयके सँग सम्झौता करबाक सल्लाह देलन्हि । घरमे अस्वस्थ्य होवएसँ पूर्वधरि रचनात्मक काजमे लगबाक सल्लाह दैत ओ कहलन्हि घरमे बैसलाक बादे अपमान अनुभव होइत देखल गेल अछि । अपन पुूर्खाके कोना कऽ वृद्धावस्थामे सम्मान देल जाए एहि सम्बन्धमे पर्याप्त जनचेतनाक आवश्यकता रहल हुनक कथन छल ।

साभार मैथिली पृष्ठ गोरखापत्र २०७१ साउन २ गते 

मधुश्रावणी पाबनि

मैथिल नव विवाहिताद्वारा पूजल जाएबला मधुश्रावणी पाबनि बुधदिनस सुरु भेल अछि । एहि पाबनिमे नवविवाहिता १५ दिनधरि व्रत आ पूजा कएल करैत अछि । साओन कृष्ण पञ्चमीसँ साओन शुक्ल तृतीया तिथिधरि मनाओल जाएबला एहि पाबनिमे मूलरुपसँ नाग, नागिन, गौरी आ महादेवके पूजा होइत अछि । पतिक दीर्घायूक कामना आ पारिवारिक सुख समृद्धिक कामनासहित कएल जाएबला पाबनिमे निराहार रहि व्रती १५ दिनधरि कथा सुनल करैत अछि । मैथिल व्राह्मण, कायस्थ आ सोनार जातिमे मधुश्रावणी पूजा करबाक चलन अछि । 
जनकपुरक मन्दिर परिसरमे दूपहरियामे सूर्यक ताप कम होइते मधुश्रावणी पूजा केनिहारि व्रती आ संगी बहिनपासभके भीड लागि जाइत अछि । हरियर साड़ी पहिरने व्रतीसभ गीत गबैत फुल लोढ़ल करैत अछि । बाँसक डाला लेने युवती आ महिलाक झुण्ड टोल टोलसँ निकलिकऽ मन्दिर, फुलबारीसभमे जम्मा होइत अछि । फुल लोढ़िक डाला सजएबाक प्रतिष्पर्धे भेल करैत अछि । अपन समूहक डाला नीक जकाँ सजाबऽ लेल युवती तथा स्त्रीगण नीक नीक फूल लोढ़ि डाला सजबैत छथि । जनकपुरक विवाह मण्डपमे मैथिल ललनाके बेस भीड़ देखल जाइत अछि ।

वर आ कनियाँ प्रतिदिन मधुश्रावणी पूजाक कथा सँगहि सुनैत छथि । जे वर आ कनियाँके सामीप्यता बढएबालेल सहायक होइत अछि । मधुश्रावणी कथामे आबएबला शिव पार्वतीक प्रेम कथासहितके प्रसंगसभमे रति रागके सम्मिश्रण भेटैत अछि जाहिसँ नवविवाहिताके मनोरञ्जन मात्र नहि होइत छन्हि खिस्से पिहानीमे प्रेम, अह्लाद बढेबाक अवसर सेहो भेटैत छन्हि । विदेश या अपन गामठामसँ दूर रहनिहार कतेको लोकके ई अवसर नईं भेटैत छन्हि जे ओ कनिञा संगे रहि कथा सुनथि । तैइयो कथाके अन्तिम दिन वरके उपस्थिति अनिवार्य मानल जाइत अछि । 
साभार मैथिली पृष्ठ गोरखापत्र २०७१ साउन २ गते  

"रद्दी कागज" (कविता)

अमरकान्त अमर

हमरे                                        
आइ
हमरा
बिसरि गेल ।
हम कहिओ
नहि सोचने छलहुँ
मुदा,
बात बिपरित ।
ठीक छैक,
ओकर ओहने सोँच ।
मोन पड़ैया
ओकर वचपन
तऽ
हृदय कलैप जाइए ।
की ? लोक
इएह
दिन लेल
कोनकोन
बेलना नहि बेलैए ।
की जाने गेलै
मायक सिनेह
बापक दुलार ।
शायद,
स्मरण आबि जाइक
किएक तऽ
ओहो
आइ
ककरो माय आ बाप छैक ।
जेना
आइ
अपन वच्चाकेँ
सिनेह करैए
काल्हि
ओकरो
ओहिना
किओ करैत छल ।
वच्चा
दुध नहि पिबए
तऽ
मायक छाती
कनकनाए लागए
भूखलो रहि
ओकर
पेट भड़ए ।
मुदा,
आइ
वच्चा
अपनेसँ
दूर भागए ।
ओकर अपने
ओकरा बोझ बुझाए ।
केश पकिते
हमरा
रद्दी कागज बुझए लागए।
मुदा,
ओकरा
बुझए पड़ैतक
रद्दी कागज सेहो
काज अबैत छैक ।
ओकर अज्ञानता
ओकरा घेरि लेने छैक ।
कहिओ
ओकरो केश पकतैक ।
ओकरो सहारा
चाहबे करी
ई चक्रमे
सभकेँ घुमए पड़त
एहि सत्यकेँ
नकारल सेहो नहि जा सकैया ।
तखन
कहब व्यर्थ
सभक स्वतन्त्रता
२१ म सदीक बात थिक ।
बुढ़ो माय बापकेँ
परिवर्तित होएब आवश्यक ।

साभार मैथिली पृष्ठ गोरखापत्र २०७१ साउन २ गते 

गुलाब काकी (कथा)

गणेशकुमार लाल

ओ माघके एकटा सुन्दर सबेर छल । दिनके शुरुआत एक कप स्वादिष्ट कफीसँ भऽ जाइत से इच्छा छल । किछ क्षणमे वास्तवमे गुलाब काकी तीनटा गरम कफीलऽ कऽ आबि गेलीह । हम आ सुुन्दर खुशी भऽ गेलहुँ । ओही दिन ठण्ढासँ कपकपि लागल छल । गुलाब काकीके हाथमे एकटा लिफाफ आकारके एकटा फोटो छल ।
बरण्डाके ठिक उत्तर कातमे विस्कुट राखल छल । हमर नजरि पड़िते गुलाब काकी आनिकऽ प्लेटमे राखि देलखिन । एहि समय पूर्व दिशामे सूर्य भगवान अपन लालिमा चारो तरफ फैला देलखिन । गुलाब काकी हमर सबके छाति भितर ओही दिनसँ बैस गेलिह । 
गुलाब काकीके सबसँ बेसी ध्यान छलैन व्यवसायीक कृषिपर । पूर्व कालमे खाद्यान्न अभावसँ बहुत बालबालिकाकेँ कुपोषणसँ मृत्यु भऽ जाइत छल । कृषि विकासक समावेसी आधारक निर्माण तथा महिला लोकनिक व्यापक सहभागिता संगहि प्रकृतिक संसाधन संरक्षरण आ सतत उपयोगके योजना बनेबामे निपूण छलिह गुलाब काकी । अपन जीविका हेतु व्यावसायीक कृषि पर निर्भर छलिह । परन्च भूमि आ ओहीमे उपजल अन्न पर लागऽ वाला श्रम आ पूँजीक अनूपातमेभेटऽ वाला लाभ अपर्यात छल ।
वर्तमान समय मे खाद्यवस्तु के सहज पहुच के मानव अधिकार के महत्वपूर्ण पक्ष के रुप मे लेल गेल अछि । ताही के बुझैत गुलाब काकी कृषि व्यापारके  मूल्य श्रृंखला मे आवद्धकऽ हरित क्रांन्तिकऽ केलिह ।
गुलाब काकी के पिता चन्द्रशेखर बाबू किछ दिनक बाद सरकारी सेवासँ निवृत होबाला रहैथ । अवकाश ग्रहण करबासँ पहिने अपन बेटी के हाथ पियर कऽ देब चाहैत रहैथ । अषाढ मासछल अहिमहिनामे विवाह्र गृहप्रवेश ्रयगोपवीत्र आदि सब प्रकारके शुभकार्य ब्राह्मण सब के मत अनुसार वर्जित छल ।
विवाह के शुभ मुहुर्त माघके प्रथम रविकेँ दिन रात्रिके नौ बाजिकऽ पैतिस मिनट निकलल छल ।चन्द्रशेखर जी के सम्बन्ध समाजके मध्मवर्गसँ छल । ओ अपन जातिकेँ रीतिरिवाज आ सामाजिक प्यबहारमे जकडल समय छल । विवाह मुर्हूत के कट्ठरतासँ पालन नही केलासँ दुष्परिणाम भऽ सकैत अछि ईविचार हुनका सदैब रहलैन । अहि बातकेँ ध्यान मे रखैत चद्रशेखर जी विवाह के सब प्रबन्ध अपन देखरेख मे सुनिचित केने छलाह । परिवारके सबसँ वयोवृद्घ व्यतिmकेँ हाथमे घडी दऽ देने छलखिन । जाहिसँ मुुहुर्त के समय अनुसार सब कार्य भऽ जाय ।
विवाहक सब काम घरके नजदिक मैदान मे भऽ रहल छल । बहुत बडका शामियाना टागल छल । निचामे बहुत बरियाती सब बैसल छल । बरबधु आ हुनकर रिसतेदार एकटा विशेष मंडपमे बैसल रहैथ । वयोवृुद्घ सज्जनसँ संकेत प्राप्त होइते ब्राह्मण सब शँंख बजाबऽ लगलाह । बैन्डबाजा बाजऽ लागल । ठीक दु बाजिकऽ इकतिस मिनट पर मनोहरराम जी संगे विवाह समपन्न भऽ गेलैक गामबासी सब हरसित भऽ उठलाह । मंगलाचरण गायल गेल ।
गुलाब काकी घरके काम काज समहारी लेलिह । मसुरीके खेतमे फुलल फल आरी पर ठाड भऽ कऽ गुलाब काकी देखकऽ आनन्दित छलीह । पूर्णतः जैविक कृषि उत्पादन कएल मसुरी छल । जैविक कृषि उत्पादन प्रति देश विदेशमे आकर्षण बढिरहल अछि । अन्य आदमीक खेतसँ बहिकऽ प्रदूषित पानी मसुरीके खेत नही अबैक ताही हेतु खेतके चारुकात तीन फीट चौडा आ दू फीट गँहिरगर नाला पहिनेसँ बनायल गेल छल ।
जिल्लाके कृषि अनुसन्धान परिषद अन्तरगत कृषि प्रदर्शनि लागल छल । जाहि मे गुलाब काकी अपन कृषि उत्यपादन मसुरी आ मूग दाल प्रर्दशनि मे रखने छलिह । प्रदर्शनी  देखबला लोग कृषक, छात्र, नेता, कर्मचारी, किसानसब अबैत छलाह । देश प्रथम योजना कालेसँ कृषि उत्यपादन दूरा सबके भोजन भेटैक ताही हेतु उत्यापादनक जैविक प्रविधि के अवधारण राखल गेल छल ।अहि मे खाद्यवस्तु दालि,चाउर आ गहुम आ दुध आ दुधजन्य पदार्थके उत्पादन कार्यमे जोड देल गेल छल ।
वुधदिन छल । प्रर्दशनिमे दर्शनार्थि सब के बहुत भिर लागल छल । कारण छल कृषि प्रर्दशनि मे कृषि मन्त्री जी के प्रर्दशनि मे एवाक सुचना जिल्ला कृषि कार्यालयसँ प्रसारित कैल गेल छल । कृषि मन्त्री जी समय पर आबि कृषि प्रर्दशनि के सर्वेक्षण केलैन । गुलाब काकी के स्टल पर आबिकऽ कृषि मन्त्री जी मसुरी आ मुग के उत्यपादन कैयल खाद्यवस्तु के देखलगलाह । बहुत पत्रकार आ कैमराबला व्यतिm सबकोई फोटो खिचनाइ शुरु कैलैन । मन्त्री जी महिला कृषक गुलाब काकीकेँ नमस्कार कऽ पुछलखिन अहाँ जैविक खेती करैत छी?
गुलाब काकी ः श्रीमान् हम जैविक कृषि खेती करैत छी ।
मन्त्री जी ःकतेक बिगहा खेतमे?
गुलाब काकी ः १५ बिगहा मे मसुरी आ ५ बिगहा मे मुंग ।
मन्त्री जी ः सब खेत अहाकेँ अपन अछि ।
गुलाब काकी ः नहि, सब खेत हमर नहि अछि । हम समुदायमे आधारित खेती करैत छी । अहीसँ समुदाय के लाभ प्राप्त होइत छैक ।
मन्त्री जी ः अहाँक समुदायमे कतेक किसान छथि ।
गुलाब काकी ः  हमरा सबक समुदायमे पच्चसि महिला कृषक छथि ।
मन्त्री जी ः खाद्यान्न आ खाद्य वस्तु के संरक्षण मे कि समस्या अछि ?
गुलाब काकी ः मूख्यरुपसँ अन्न भण्डारणकेँ समस्या अछि । पक्का गोदाम घर नहि भेलासँ वरखाा समय मे खाद्यवस्तु खराब भ जाइत अछि ।
मन्त्री जी सँगे कृषि सचिब अपन डायरी मे गुलाब काकी के समस्या लिखलैन ।छओ पाँच नहि जानबाली गुलाब काकी कृषि कार्य आ सामुहिक कृषि उत्पादन आ व्यापारी करणसँ महिला कृषकसब अपन बच्चा सबके स्कूलमे अध्ययन करा रहल छलिह ।अतःहुनकर परिवार शिक्षा प्राप्त करबामे आगा छलैन ।
कृषि प्रर्दशनीक आइ समाप्ती छलैक । अगहनी, रब्बी आ तरकारी, फलफूल जतेक स्टल प्रर्दशनि मे लागल छल ओही सबमे प्रथम पुरसकार कृषि मन्त्रीजी घोषण करबाला छलैथ ।
मन्च पूर्णरुपसँ फूलमाला सँ सजल छल । कृषि कार्यालयके एकटा कर्मचारी गुलाब काकी के बजाब एलखिन । गुलाब काकी अपना सगे फुलमति देवी के सेहो लऽ गेलिह ।
ठिक दिनके चारी बजे कृषि मन्त्री जी आबि गेलाह । हुन्कर भव्यरुपसँ स्वागत कैल गेल ।पुरस्कारक घोषण भेल । कृषि मन्त्री जी सबसँ पहिने गुलाब काकी के महिला कृषक मे पुरस्कार हेतु घोषण केलैन जाही मे एकलाख टाका आ गोदाम घर निर्माण सरकार करा देत से मन्त्री जी घोषण केलैथ ।
जनतासबसँ भडल भिढमे थपडी पर थपडी पारी लागल । वातावरण पूर्णरुप सँ गुनजायमान छल । जनता सब खुशि छल जे कृषि मन्त्रालय वास्तव मे सही रुपसँ महिला कृषकके पहिचान केलक ।
गाममे वर्षा भे छल । एहन वर्षा जे छुटवाक नामे नही लैत छल । गुलाब काकी के पोताके सर्दीसँ निमोनिया लागि गेल छल । अतस् गुलाब काकी बड दुसखी छलिह । लोक कहैत अछि ससार दुसख आ दुसखसँ निमार्ण भेल अछि से कहैत छथि ज्ञानी आ सन्त सब ।
गुलाब काकीके वनस्पती शात्रके सेहो ज्ञान छलैन । ओ टेलिभिजन कार्यक्रममे आचार्य बालकृष्णजीकेबतायल नागरमोथा ९फुुलकी ०के बारेमे औषधिय गुण के लिखकऽ डायरीमे रखने छलिह ।नागरमोथा जलिय आ आद्र्र भूमि जगहमे पैदा होइत छैक । अहिके केन्दमे एक प्रकार के सुस्वाद तेल पावल जाइत अछि । अतः बोखारसँ पीडित पोताके नागरमोथा आ गिलोइ के काढा बनाकऽ पियेनाइ शुरु केलैन । दुु दिन के बाद ज्वर समाप्त भऽ गेल ।
सरकारी स्तरसँ निर्माण कैल गेल गोदाम घर बीस फीट लम्बा आ १५ फीट चौडा २५ फीट उँचाई के गोदाम घर निमार्ण भऽ गेलैक । गामके किसान सब बहुत खुशी छलाह । महिला कृषक आ समूदायमे आबद्ध सब किसान भगवानक पूजा कऽ मिठाई बटलैन । गुलाब काकी नीला रंग के सिल्क सारी मे सजल छलिह । अहि सारी मे बेहतर टैकसचर आ जीवंत रंग प्राप्त होइत छैक ।

भगवानक शुभ अनुकम्पासँ चारो दिशासँ हल्का गुलाबी आ जोगिया आभा चिन्ह उभरलागल छल ।उषाके अवतरण होब बला छलैक । जाहीके उजालासँ भरपूर उर्जा  किछ घंटा मे गाम मे फैल बला छलैक । गुलाब काकी गंगा सागर जेबाक लेल बस मे बैस गेल छलिह । कहबि छैक । सारा तीरथ बेर बेर गंगा सागर एक बेर । माता गंगा बहैत बहैत गंगा सागर मे मिलैत छैथ । ई सुन्दरबनसागर द्वीपके दक्षिण हिस्सा छैक । तीस किलो मिटर लम्बा आ नौ किलो मिटर चौडा अहि पबित्र द्वीपके अन्नमय तीर्थ मानल जाइत अछि । गुलाब काकी अहिपवित्र तीर्थ दर्शन हेतु चलि गेलीह । 
साभार मैथिली पृष्ठ गोरखापत्र २०७१ साउन २ गते