2014-08-16

मधुश्रावणी ः सफल दाम्पत्यक पाठशाला


मधुश्रावणीमे मिथिलाञ्चलमे गाम गाममे बेरिया खन कऽ बाध वनमे गीत गुञ्जैत रहल । । सोलहो श्रृंगारसँ सुशोभित नवविवाहिता कनियाँ अपन सखीसभ सँगे बाध वनमे घुमैत फुल तौडैÞत तथा विभिन्न गाछक झारिपात तोड़ैत देखल जाइत अछि । साउन महिनाक मौना पञ्चमीसँ एक दिन पूर्वसँ सुरु भऽ तेरह दिनधरि चलएबाला फुल लोढ़ी मंगलदिन सम्पन्न भेल अछि । विशेषतः व्राह्मण, कायस्थ, देव आ सोनार जातिमे होवएबला फुल लोढी मधुश्रावणी पावनिके पुरक अछि । अर्थात साँझमे लोढ़ल गेल फुल प्रातः काल विषहराके चढ़ा मधुश्रावणी पुजा कएल जाइत अछि । पतिकेँ दिर्घायूक कामना करैत नागकँे पुजा कएल जाएबला मधुश्रावणी पावनि धर्म, प्रकृति पुजा, पति प्रेम, सर्तकता तथा मनोरञ्जनक रुपमे लेल जाइत अछि ।

धर्म

हिन्दु धर्ममे नागकँे देवता मानल गेल अछि । महादेवक अंग भूषण आ विष्णुक आसन नागके पुजा कएलासँ धर्म होएबाक जनविश्वास अछि । मधुश्रावणी पावनिभरि महादेवक चर्चा परिचर्चा कएल जाइत अछि । मधुश्रावणीमे महादेव गौरी, गणेश, कर्तिकेय तथा आनन्य देवताक पुजा कएलासँ जीवन सुखी होएबाक मान्यता अछि । भगवानक पुजा कएलासँ भगवान आशीष देता, एहिसँ घर परिवार फुलत फलत आ हरेक मनोकामना पुरा हएत, मधुश्रावणी पुजि रहल जनकपुर ४ रहनिहारि अनीता कर्ण कहैत छथि, तएँ
हम नियम निष्ठासँ मधुश्रावणी पुजा कऽ रहल छि ।

प्रकृति पुजा


मधुश्रावणी पावनि प्रकृति पुजाक प्रतीक अछि । मधुश्रावणीमे नागक पुजा कएल जाइत अछि । प्रकृतिक एकटा सुन्दर उपहार नागक पुजा कएनाइ प्रकृति पुजा कएनाई समान अछि ।
एहि अतिरित्तm मधुश्रावणीमे नवकनियाँसभ फुल लोढैत छथि । फुल लोढ़बाक लेल ओ सभ सालभरि पहिनहिसँ घर आगन दुरादरबज्जापर फुलगुल लगाबए लगैत अछि । एहिसँ प्रकृतिक संरक्षण आ सम्बद्र्धनक सन्देश भेटैत अछि । फुल लोढएबालीसभ नीम, दाडिम, लताम, जाही(जुही सहितक गाछक पात फुलसभ तोड़ि डालीमे सजबैत अछि । ओ सभ ओहि अवसरमे प्रकृतिक अनुपम श्रृंगारमे डुबि जाइत अछि आ प्रकृतिक एकटा अंगक रुपमे भऽ जाइत अछि । एहन विशिष्ट प्रकृतिक प्रेमक स्वरुप अन्तः देखनाइ कठिन अछि । मिथिला संस्कृतिमे प्रकृति पुजाक एहन कतेको अवसर अछि जे प्रकृतिक संरक्षण सम्बर्धनक सन्देश दैत अछि । जेना जुड़शीतल । एहि पावनिमे लोकसभ गाछमे पानि पटबैत अछि । पुजा करबाक लेल फूल, बेलपत्र, कलशक लेल पल्लव आदि इत्यादिसभ प्रकृतिक पुजाक उदाहरण अछि आ मधुश्रावणी पुजा सेहो एकरे एकटा कड़ीक रुपमे मानल जाइत अछि । रेडियोकर्मी तथा शिक्षीका पुनम मिश्र कहैत छथि‘मधुश्रावणी पावनि नवकनियाँके प्रकृति जेकाँ स्वच्छता फैलबाक शिक्षा दैत अछि ।’ तहिना विभिन्न गाछ वृक्ष जेकाँ नवविवाहितक परिवार
बढ़ौ, घर भरलपुरल रहौक से कामना कएल जाइत अछि ।

पति प्रेम

मिथिलानीसभ पतिके परमेश्वर मानैत छथि । हुनक चरणमे अपन संसार देखबाक संस्कार व्याप्त रहल मिथिलानीसभ पतिक दिर्घायूक लेल कठोरसँ कठोर व्रत करैत छथि । जकर एकटा स्वरुप मधुश्रावणी सेहो अछि ।  मधुश्रावणीमे साँप किरा अपन पतिके नहि काटए तेँ विषहरिके पुजा कएल जाइत अछि । तहिना मधुश्रावणीमे सुनाओल जाएबला महादेव तथा अन्य देवी देवताक कथासभ सेहो प्रेमपर अधारित रहैत अछि । जे कथासभक सारतत्व एकहिटा पति प्रेमसँ जुड़ल रहैत अछि । शरीरिक तथा संवेगात्मक दुनु प्रकारक पे्रमक कथा सुनाओल जाएबला मधुश्रावणी पावनि केहनो कष्ट सहि कऽ पतिक सँग जीवन बितेवाक उत्प्रेरणा जगबैत अछि । मधुश्रावणीक अन्तिम दिन टेमी दागल जाइत अछि । अर्थात पति जरैत दीपसँ अपन कनियाँकँे दागि दैत अछि । तैयो कनियाँ अपन पतिके किछु नहि कहैत अछि जे ओकर सहनशीलताक परिचायक अछि । अपन पतिकेँ सभसँ उपर अपन सर्वस्व मानएकँे परम्परा रहलाक कारण महिलामे ओ भावना जगेवाक काज मधुश्रावणीमे होइत अछि । एहि पावनिमे पावनिभरि पति अपन पत्नीकसँग रहैत अछि । जाहिसँ हुनकासभ बीच पे्रम बढब स्वभाविक भऽ जाइत अछि ।

सर्तकता

साउन मास वर्षागुणीक समय अछि । बाढि पानिक कारण विहरिसभ भरि जाइत अछि जाहि कारण साँपक विगवीगी बढि जाइत अछि । साँपसभ घर आँंगनमे आवि डँसि लेलासँ मनुष्यके अकाल मृत्यु भऽ जाइत अछि । मधुश्रावणीक कथासभमे साँपसँ सतर्क रहबाक सन्देश अछि । एहि कथासभमे साँप किरासँ सुरक्षाक लेल विभिन्न उपायसभदेखाओल गेल अछि । अर्थात मधुश्रावणी पावनि सर्तकता आ सुरक्षाक सम्बन्धमे जनचेतना जगेबाक काज सेहो करैत अछि । मधुश्रावणी आ कला संस्कृति मधुश्रावणी पावनि कला सांस्कृतिक संरक्षणमे सेहो मुख्य भूमिका निर्वाह कऽ रहल अछि । एहि पावनिमे माटिक विषहरा बनाओल जाइत अछि । तहिना अरिपन सेहो बनाओल जाइत अछि । एहि अतिरित्तm महफा, कनियाँ, लीलीवासन सहित विभिन्न लोककला बनाओल जाइत अछि । पुस्तदर पुस्ता मिथिलानीसभ हस्तानान्तर करैत आएल मिथिला कला आइयो इएह कारण जिवैत अछि । तहिना विभिन्न दन्त्य कथा, गीत नादसभ मिथिला सांस्कृतिके बचा कऽ रखने अछि ।
मधुश्रावणीक कथामे घर गृहस्थीक जे मन्त्रसभ सिखाओल जाइत अछि ओ वास्तवमे सचेत मिथिला आ मैथिली सभ्याताकँे झलकवैत अछि ।

मनोरञ्जन

मनोरञ्जनक दुष्टिकोणसँ सेहो मधुश्रावणी पूजाक बड़ महत्व अछि । संगीसाथीसभक खेलकुद, नोंकझोंक, नाचगान जे मनोरञ्जन परसैत अछि ओ अपूर्व अछि । फुल लोढ़ैत काल सखीसहेली बीचक नोकझोंक होइ अथवा पुजैतकाल पाहुन सँग मजाक मधुश्रावणी पावनि जेहन स्वस्थ्य मनेरञ्जन परसैत अछि ओहिसँ श्रेष्ठ आन कोनो मनोरञ्जन नहि भऽ सकैय । अर्थात समग्रमे कहल जाए तऽ मधुश्रावणी पावनि एकटा दर्शन अछि जे जीवन जिबाक कला सिखवैत अछि । घर गृहस्थी धर्मकर्म तथा वंशवृद्धिक जे सन्देश मधुश्रावणीक
कथामे अछि ओ मैथिली सांस्कृतिक दुरदर्शीता झलकबैत अछि । साभार मिथिला डट कम
साभार गोरखापत्र मैथिली पृष्ठ २०७१ साउन १६ गते

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