2016-09-03

चौठचन्द्र पाबनि

मिथिलाञ्चलक चौठचन्द्र (चौरचन) पावनि रविदिन मनाओल जायत । हरेक प्रकारक मनोवांक्षित फल प्राप्तिक लेल घरघरमे चौठचन्द्र पूजा कएल जाइत अछि ।
चौठचन्द्रमे भगवान गणेश आ चन्द्रमाकँे पूजा कएल जाइत अछि । ई पावनिकेँ प्रारम्भ मिथिलामे मिथिला नरेश हेमाङ्गद ठाकुरद्वारा भेल छल । ओ ज्योतिषी छलाह । हुनका एहि तिथिकेँ विशिष्ट शुभफल प्राप्त भेलन्हि तेँ ओ एहि पावनिक प्रचार कएलन्हि । चौठचन्द्रकेँ सम्बन्धमे स्कन्द पुराणमे सेहो चर्चा कएल गेल अछि । ई पावनि प्रायः साँझमे कएल जाइत अछि । गणेश आ चन्द्रमाक पूजा कएलाक बाद हाथमेँ फल लऽ चन्द्रमाकँे दर्शन कएल जाइत अछि ।

चौठचन्द्र दिन संध्या पडल चन्द्रमाके जे देखैत छथि से आनो दिन देखि सकैत छथि आ चौठचन्द्र दिन नहि देखि आन दिन देखएबलाकेँ मिथ्या श्राप लागि जएबाक जनविश्वास रहल अछि । एहिमे खजुरीया, पिरकीया, केरा, खिर, दही, नारियल, खिरा, पुरी, मकैइ, नेवो प्रसादकेँ रुपमे भगवानकँे चढाओल जाइत अछि ।  स्थानीयवासीसभक अनुसार पूजा कएलाक बाद घर(घरमे खिर(पुरी आ ओलक चटनी विशेष रुपसँ खाएल जाइत अछि । 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें