2014-06-30

फेसबुक कमेन्ट २० दिन जेल की ईएह छइ न्याय ?

जितेन्द्र झा

नेपालमे प्रहरीक रवैयासँ जुड़ल एकटा कहबी बेस प्रचलित अछि पहिले थुन्नुस अनि बुझ्नुस्, सप्तरी जिलामे फेसबुक कमेन्ट कएनिहार एकगोटे युवककेँ २० दिन हिरासतमे राखिकऽ प्रहरी अपना संगठनसँ जुड़ल ई कहबीके चरितार्थ कएलक अछि ।
एकटा सामान्य फेसबुक कमेन्ट, जाहिमे प्रहरीकेँ नामतक नहि लेल गेल छल, तकरा आधार बनाकऽ एसपी दिनेश अमात्य सप्तरी पोर्ताहा रहनिहार अब्दुल रहमानकेँ २० दिनधरि हिरासतमे रखलनि ।

तिलके ताड़

नागरिक दैनिकमे जेठ १७ गते एकटा समाचार छलप सप्तरीमा सुध्रिँदो सुरक्षा, ई समाचार फेसबुकमे शेयर कएलगेल । ओइ समाचारमे सप्तरीक युवा अब्दुल रहमानकेँ कमेन्ट रहनि के को सुध्रिनु, आफ्नै चोरी भएको बाइक फिर्ता गराउन पैसा तिर्नु परेको छ, त्यो पनि पचास हजार । इएह शब्द प्रहरीकेँ नईं पचलै आ किछु कालबाद अब्दुलकेँ कमेन्टकेँ निचाँमे प्रहरी लिखलक तपाईंले गर्नु भएको कमेन्टप्रति जिल्ला प्रहरीको गम्भीर ध्यानाकर्षण भएको छ, सो सम्बन्धमा सत्य, तथ्य कुरा लिई यस कार्यालयमा आउन हुन अनुरोध छ । साथै दोषी उपर कडाभन्दा कडा कारवाही गरिने व्यहोरा अनुरोध छ ।

आक्रामक रवैया

अब्दुल रहमान
प्रहरी फेसबुकमे सुरक्षा अवस्थापर कमेन्ट कएनिहार अब्दुल रहमानकेँ राजविराज वार्ड नं. ३ सँ जेठ १८ गते नियन्त्रणमे लेलक । प्रहरी १४ दिनधरि हिरासतमे रखलाक बाद प्रहरी १५ म् दिनमे सप्तरी जिला अदालतमे विद्युतीय कारोबार ऐन अन्तर्गत मुद्दा चलएबालेल हाजिर करबोलक । १६ म् दिनमे सप्तरी जिला अदालत कहलक जे एहि ऐन अन्तर्गत मुद्दा चलएबाक अधिकार काठमाण्डू जिला अदालतकेँ मात्र अछि । ताहिके बाद प्रहरी रहमानकेँ काठमाण्डू जिला अदालतमे हाजिर करबौलक । काठमाण्डू जिला अदालत रहमानकेँ अषाढ़ ६ गते ५ हजार धरौटीमे रिहा कऽ देलक । रहमानकेँ अषाढ़ १७ गते तारिख छन्हि । प्रहरी अदालतमे रहमानकेँ विरुद्ध १ लाख रुपैयाँ जरिवाना आ पाँच वर्ष कैदकेँ माङ कएने अछि ।

नईं टेरलक अदालतकेँ

सप्तरी प्रहरी रहमान प्रकरणमे अदालतोके ठेंगा देखा देलक । पीडित न्यायके लेल अदालतके द्वारिपर गेल मुदा प्रहरीक सामने अदालतोके आदेश फिका पड़ि गेल । रहमानके पिता इसराइल मियाँ  अपन बेटाकेँ प्रहरी गैरकानुनी ढंगसँ पकड़िकऽ रखने कहैत पुनरावेदन अदालत सप्तरीमे अषाढ ४ गते बन्दी प्रत्यक्षीकरणकेँ लेल रिट दायर कएलनि । अदालत सप्तरी प्रहरीके बन्दी रहमानकेँ आवश्यक कागजातसहित २४ घण्टा भितर उपस्थित करएबाक आदेश देलक । जिला प्रहरी सप्तरी ओ पत्र वएह दिन अपरान्ह ४ बजे बुझने छल मुदा अदालतकेँ आदेशके अवज्ञा करैत सवा सात बजे काठमाण्डू पठा देलक ।

अनाडी अधिकारी !

प्रहरी रहमानकेँ पकडिकऽ अपन बहादुरी सिद्ध करबालेल विद्युतीय कारोबार ऐनकेँ सहारा लेलक । मुदा ओकरा ई धरि नहि बुझल रहइ जे विद्युतीय कारोबार ऐन अन्तर्गत मुद्दा सुनुवाइके अधिकार काठमाण्डू जिला अदालतकेँ मात्र छइ । जँ नहि त ओ किया रहमानकेँ सप्तरी जिला अदालतमे चक्कर कटबौलक ? या त प्रहरीकेँ कानुनी ज्ञानके अभाव छइ नहि त ओ आम नागरिककेँ यातना देबऽके अपन नैसर्गिक अधिकार बुझि लेने अछि ।

विभेदक गन्ध 

प्रहरीक कारवाही साम्प्रदायिक भावनासँ उत्प्रेरित रहल आरोप लागि रहल अछि । सामाजिक संजालसँ लऽकऽ संसदधरि ई आबाज उठल अछि । अषाढ़ १० गते सद्भावना पार्टीक सभासद् लक्ष्मणलाल कर्ण व्यवस्थापिका संसदमे ई मुद्दाके उठओलनि । सभासद् कर्ण मधेशी आ मुस्लिम भेलाक कारणेँ रहमानउपर प्रहरी कारवाही कएने आरोप लगओलनि । ओ कार्यवाहक प्रधानमन्त्री आ गृहमन्त्री बामदेव गौतमकेँ पुछलनि जे ई देश के चलबैया लोकतान्त्रिक सरकार की पुलिस । सामाजिक संजालसभमे सेहो प्रहरीक रवैयाके आलोचना भऽ रहल अछि । अभिव्यक्ति स्वतन्त्रताकेँ कुण्ठित करबालेल एहन कारवाही कएल गेल टिप्पणी सेहो भऽ रहल अछि ।
  
तानाशाही प्रवृत्ति  

रहमानके कमेन्टसँ प्रहरीके तिलमिलाएके औचित्य की ? की ओहिसँ पहिने प्रहरीकँे छविपर कोनो प्रश्न नहि उठल अछि कि ? जाहि समाचारमे कमेन्ट कएल गेल अछि ओहिके अन्तिममे लिखल अछि जे एक वर्षमे ३० गोटे प्रहरीके कारवाही कएल गेल अछि । जँ सप्तरी प्रहरीके अपन छविके ओतबे चिन्ता छइ त ओकरा ई पाँतिके बेरबेर पढऽक चाही । ३० गोटे प्रहरीके कारवाही करबाक एकमात्र कारण अछि प्रहरीक आचरण विपरीत काज । ओना आम मधेशीकेँ बुझल छइ जे प्रहरी ओकरासँ कोन तरहेँ प्रस्तुत होइछइ । सीमा क्षेत्रमे घरायसी प्रयोजनलेल नुन आ चिनी आनऽबलाके सीमा सुरक्षा नाममे ठाढ़ कोनाकऽ प्रताड़ित करैत छइ । ई मुद्दा आब अदालतमे अछि, कानुन अनुसारके फैसला हएबे करतै । मुदा जाहि प्रकृतिके रवैया पुलिस देखओलकए ताहिसँ प्रहरी संगठनपर प्रश्न उठि रहल छइ । एकटा आम आदमीके प्रहरीके कृयाकलापपर टिप्पणी करबाक संविधानप्रदत्त अभिव्यक्ति स्वतन्त्रता छइ तहन रहमानसँ एहन व्यवहार किया ? अल्पसंख्यक मुस्लिम समुदायक एकटा युवाकेँ प्रहरीक अनाहक हिरासत किया भोगऽ पड़लै ? लोकतान्त्रिक गणतन्त्र नेपालमे की मधेशी युवाकेँ बाजऽतकके अधिकार नहि छइ ? गृहप्रशासनकेँ एहिके उत्तर खोजबाक चाही । कियाक त विभेदसँ विद्रोह जन्मैत अछि ई नेपालक बेर बेरके आन्दोलनसँ सिद्ध भऽ चुकल अछि । 
साभार नयाँ नेपाल २०७१ साल अषाढ १६ गते 

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