2014-06-30

गुलाब काकी (कथा)

गणेशकुमार लाल 

गणेशकुमार लाल 

ओ माघके एकटा सुन्दर सबेर छल । दिनके शुरुआत एक कप स्वादिष्ट कफीसँ भऽ जाइत से इच्छा छल । किछ क्षणमे वास्तवमे गुलाब काकी तीनटा गरम कफीलऽ कऽ आबि गेलीह । हम आ सुुन्दर खुशी भऽ गेलहुँ । ओही दिन ठण्ढासँ कपकपि लागल छल । गुलाब काकीके हाथमे एकटा लिफाफ आकारके एकटा फोटो छल ।
बरण्डाके ठिक उत्तर कातमे विस्कुट राखल छल । हमर नजरि पड़िते गुलाब काकी आनिकऽ प्लेटमे राखि देलखिन । एहि समय पूर्व दिशामे सूर्य भगवान अपन लालिमा चारो तरफ फैला देलखिन । गुलाब काकी हमर सबके छाति भितर ओही दिनसँ बैस गेलिह ।
गुलाब काकीके सबसँ बेसी ध्यान छलैन व्यवसायीक कृषिपर । पूर्व कालमे खाद्यान्न अभावसँ बहुत बालबालिकाकेँ कुपोषणसँ मृत्यु भऽ जाइत छल । कृषि विकासक समावेसी आधारक निर्माण तथा महिला लोकनिक व्यापक सहभागिता संगहि प्रकृतिक संसाधन संरक्षरण आ सतत उपयोगके योजना बनेबामे निपूण छलिह गुलाब काकी । अपन जीविका हेतु व्यावसायीक कृषि पर निर्भर छलिह । परन्च भूमि आ ओहीमे उपजल अन्न पर लागऽ वाला श्रम आ पूँजीक अनूपातमेभेटऽ वाला लाभ अपर्यात छल ।
वर्तमान समय मे खाद्यवस्तु के सहज पहुच के मानव अधिकार के महत्वपूर्ण पक्ष के रुप मे लेल गेल अछि । ताही के बुझैत गुलाब काकी कृषि व्यापारके  मूल्य श्रृंखला मे आवद्धकऽ हरित क्रांन्तिकऽ केलिह ।
गुलाब काकी के पिता चन्द्रशेखर बाबू किछ दिनक बाद सरकारी सेवासँ निवृत होबाला रहैथ । अवकाश ग्रहण करबासँ पहिने अपन बेटी के हाथ पियर कऽ देब चाहैत रहैथ । अषाढ मासछल अहिमहिनामे विवाह्र गृहप्रवेश ्रयगोपवीत्र आदि सब प्रकारके शुभकार्य ब्राह्मण सब के मत अनुसार वर्जित छल ।
विवाह के शुभ मुहुर्त माघके प्रथम रविकेँ दिन रात्रिके नौ बाजिकऽ पैतिस मिनट निकलल छल ।चन्द्रशेखर जी के सम्बन्ध समाजके मध्मवर्गसँ छल । ओ अपन जातिकेँ रीतिरिवाज आ सामाजिक प्यबहारमे जकडल समय छल । विवाह मुर्हूत के कट्ठरतासँ पालन नही केलासँ दुष्परिणाम भऽ सकैत अछि ईविचार हुनका सदैब रहलैन । अहि बातकेँ ध्यान मे रखैत चद्रशेखर जी विवाह के सब प्रबन्ध अपन देखरेख मे सुनिचित केने छलाह । परिवारके सबसँ वयोवृद्घ व्यतिmकेँ हाथमे घडी दऽ देने छलखिन । जाहिसँ मुुहुर्त के समय अनुसार सब कार्य भऽ जाय ।
विवाहक सब काम घरके नजदिक मैदान मे भऽ रहल छल । बहुत बडका शामियाना टागल छल । निचामे बहुत बरियाती सब बैसल छल । बरबधु आ हुनकर रिसतेदार एकटा विशेष मंडपमे बैसल रहैथ । वयोवृुद्घ सज्जनसँ संकेत प्राप्त होइते ब्राह्मण सब शँंख बजाबऽ लगलाह । बैन्डबाजा बाजऽ लागल । ठीक दु बाजिकऽ इकतिस मिनट पर मनोहरराम जी संगे विवाह समपन्न भऽ गेलैक गामबासी सब हरसित भऽ उठलाह । मंगलाचरण गायल गेल ।
गुलाब काकी घरके काम काज समहारी लेलिह । मसुरीके खेतमे फुलल फल आरी पर ठाड भऽ कऽ गुलाब काकी देखकऽ आनन्दित छलीह । पूर्णतः जैविक कृषि उत्पादन कएल मसुरी छल । जैविक कृषि उत्पादन प्रति देश विदेशमे आकर्षण बढिरहल अछि । अन्य आदमीक खेतसँ बहिकऽ प्रदूषित पानी मसुरीके खेत नही अबैक ताही हेतु खेतके चारुकात तीन फीट चौडा आ दू फीट गँहिरगर नाला पहिनेसँ बनायल गेल छल ।
जिल्लाके कृषि अनुसन्धान परिषद अन्तरगत कृषि प्रदर्शनि लागल छल । जाहि मे गुलाब काकी अपन कृषि उत्यपादन मसुरी आ मूग दाल प्रर्दशनि मे रखने छलिह । प्रदर्शनी  देखबला लोग कृषक, छात्र, नेता, कर्मचारी, किसानसब अबैत छलाह । देश प्रथम योजना कालेसँ कृषि उत्यपादन दूरा सबके भोजन भेटैक ताही हेतु उत्यापादनक जैविक प्रविधि के अवधारण राखल गेल छल ।अहि मे खाद्यवस्तु दालि,चाउर आ गहुम आ दुध आ दुधजन्य पदार्थके उत्पादन कार्यमे जोड देल गेल छल ।
वुधदिन छल । प्रर्दशनिमे दर्शनार्थि सब के बहुत भिर लागल छल । कारण छल कृषि प्रर्दशनि मे कृषि मन्त्री जी के प्रर्दशनि मे एवाक सुचना जिल्ला कृषि कार्यालयसँ प्रसारित कैल गेल छल । कृषि मन्त्री जी समय पर आबि कृषि प्रर्दशनि के सर्वेक्षण केलैन । गुलाब काकी के स्टल पर आबिकऽ कृषि मन्त्री जी मसुरी आ मुग के उत्यपादन कैयल खाद्यवस्तु के देखलगलाह । बहुत पत्रकार आ कैमराबला व्यतिm सबकोई फोटो खिचनाइ शुरु कैलैन । मन्त्री जी महिला कृषक गुलाब काकीकेँ नमस्कार कऽ पुछलखिन अहाँ जैविक खेती करैत छी?
गुलाब काकी ः श्रीमान् हम जैविक कृषि खेती करैत छी ।
मन्त्री जी ःकतेक बिगहा खेतमे?
गुलाब काकी ः १५ बिगहा मे मसुरी आ ५ बिगहा मे मुंग ।
मन्त्री जी ः सब खेत अहाकेँ अपन अछि ।
गुलाब काकी ः नहि, सब खेत हमर नहि अछि । हम समुदायमे आधारित खेती करैत छी । अहीसँ समुदाय के लाभ प्राप्त होइत छैक ।
मन्त्री जी ः अहाँक समुदायमे कतेक किसान छथि ।
गुलाब काकी ः  हमरा सबक समुदायमे पच्चसि महिला कृषक छथि ।
मन्त्री जी ः खाद्यान्न आ खाद्य वस्तु के संरक्षण मे कि समस्या अछि ?
गुलाब काकी ः मूख्यरुपसँ अन्न भण्डारणकेँ समस्या अछि । पक्का गोदाम घर नहि भेलासँ वरखाा समय मे खाद्यवस्तु खराब भ जाइत अछि ।
मन्त्री जी सँगे कृषि सचिब अपन डायरी मे गुलाब काकी के समस्या लिखलैन ।छओ पाँच नहि जानबाली गुलाब काकी कृषि कार्य आ सामुहिक कृषि उत्पादन आ व्यापारी करणसँ महिला कृषकसब अपन बच्चा सबके स्कूलमे अध्ययन करा रहल छलिह ।अतःहुनकर परिवार शिक्षा प्राप्त करबामे आगा छलैन ।
कृषि प्रर्दशनीक आइ समाप्ती छलैक । अगहनी, रब्बी आ तरकारी, फलफूल जतेक स्टल प्रर्दशनि मे लागल छल ओही सबमे प्रथम पुरसकार कृषि मन्त्रीजी घोषण करबाला छलैथ ।
मन्च पूर्णरुपसँ फूलमाला सँ सजल छल । कृषि कार्यालयके एकटा कर्मचारी गुलाब काकी के बजाब एलखिन । गुलाब काकी अपना सगे फुलमति देवी के सेहो लऽ गेलिह ।
ठिक दिनके चारी बजे कृषि मन्त्री जी आबि गेलाह । हुन्कर भव्यरुपसँ स्वागत कैल गेल ।पुरस्कारक घोषण भेल । कृषि मन्त्री जी सबसँ पहिने गुलाब काकी के महिला कृषक मे पुरस्कार हेतु घोषण केलैन जाही मे एकलाख टाका आ गोदाम घर निर्माण सरकार करा देत से मन्त्री जी घोषण केलैथ ।
जनतासबसँ भडल भिढमे थपडी पर थपडी पारी लागल । वातावरण पूर्णरुप सँ गुनजायमान छल । जनता सब खुशि छल जे कृषि मन्त्रालय वास्तव मे सही रुपसँ महिला कृषकके पहिचान केलक ।
गाममे वर्षा भे छल । एहन वर्षा जे छुटवाक नामे नही लैत छल । गुलाब काकी के पोताके सर्दीसँ निमोनिया लागि गेल छल । अतस् गुलाब काकी बड दुसखी छलिह । लोक कहैत अछि ससार दुसख आ दुसखसँ निमार्ण भेल अछि से कहैत छथि ज्ञानी आ सन्त सब ।
गुलाब काकीके वनस्पती शात्रके सेहो ज्ञान छलैन । ओ टेलिभिजन कार्यक्रममे आचार्य बालकृष्णजीकेबतायल नागरमोथा ९फुुलकी ०के बारेमे औषधिय गुण के लिखकऽ डायरीमे रखने छलिह ।नागरमोथा जलिय आ आद्र्र भूमि जगहमे पैदा होइत छैक । अहिके केन्दमे एक प्रकार के सुस्वाद तेल पावल जाइत अछि । अतः बोखारसँ पीडित पोताके नागरमोथा आ गिलोइ के काढा बनाकऽ पियेनाइ शुरु केलैन । दुु दिन के बाद ज्वर समाप्त भऽ गेल ।
सरकारी स्तरसँ निर्माण कैल गेल गोदाम घर बीस फीट लम्बा आ १५ फीट चौडा २५ फीट उँचाई के गोदाम घर निमार्ण भऽ गेलैक । गामके किसान सब बहुत खुशी छलाह । महिला कृषक आ समूदायमे आबद्ध सब किसान भगवानक पूजा कऽ मिठाई बटलैन । गुलाब काकी नीला रंग के सिल्क सारी मे सजल छलिह । अहि सारी मे बेहतर टैकसचर आ जीवंत रंग प्राप्त होइत छैक ।
भगवानक शुभ अनुकम्पासँ चारो दिशासँ हल्का गुलाबी आ जोगिया आभा चिन्ह उभरलागल छल । उषाके अवतरण होब बला छलैक । जाहीके उजालासँ भरपूर उर्जा किछ घंटा मे गाम मे फैल बला छलैक । गुलाब काकी गंगा सागर जेबाक लेल बस मे बैस गेल छलिह । कहबि छैक । सारा तीरथ बेर बेर गंगा सागर एक बेर । माता गंगा बहैत बहैत गंगा सागर मे मिलैत छैथ । ई सुन्दरबनसागर द्वीपके दक्षिण हिस्सा छैक । तीस किलो मिटर लम्बा आ नौ किलो मिटर चौडा अहि पबित्र द्वीपके अन्नमय तीर्थ मानल जाइत अछि । गुलाब काकी अहिपवित्र तीर्थ दर्शन हेतु चलि गेलीह । साभार नयाँ नेपाल २०७१ साल अषाढ १६ गते  

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