2014-07-19

मधेशक उत्तर-दक्षिण विभाजनकेँ विरोध हएबाक चाही : प्रशान्त झा

मधेशी शक्तिक महत्व घटल
पत्रकार प्रशान्त झा 
एहिमे कोनो शंका नहि जे दोसर संविधानसभा चुनावके बाद मधेशके राजनीतिक शक्ति घटल छइ । जे उँचाई मधेश आन्दोलन, संविधानसभाक चुनाव, राष्ट्रपति उपराष्ट्रपति चुनाव, सरकार निर्माणके क्रममे देखने रही ओ आब नहि छइ । नेपालक राजनीतिमे बितलाहा पाँच वर्षमे सरकार बनाबऽमे मधेशी दलसभ स्वींग फोर्सके रुपमे देखल गेल, ओसभ जे दलके समर्थन दैत छल वएह दल सरकार बनबैत छल । आब ओ शक्ति मधेशी पार्टीलग नहि रहिगेल । मधेशी दलके भूमिका बिना सेहो सरकार बनि सकैत अछि । एखनके सरकार सेहो एकरा प्रमाणित कएने अछि । संख्यात्मक रुपमे मधेशी शक्ति कमजोर देखल गेल अछि, राजनीतिक रुपमे ओहिसँ महत्व घटल अछि ।

असन्तुष्टि हरओलक
दोसर संविधानसभा चुनावमे भेटल पराजयके बाद मधेशी राजनीतिक दलके जे चिन्तन करबाक चाही से नहि भऽ सकल । ओसभ किया हारलथि ? पार्टीक फुटके कारण मात्रे हारलथि ? चारिवर्ष सरकारमे रहिकऽ ओसभ अपन चुनाव क्षेत्रमे की केलैथ ? अपन आधारक्षेत्र मधेशमे कोन सेवा प्रवाह कएलथि ? मधेशमे कांग्रेस, एमालेसँ खुश भऽ कऽ भोट कएल गेल तेहन बात नहि । मधेशी दलसभप्रति जे असन्तुष्टि छल तकर कारण ओ सभ कांग्रेस, एमालेके भोट देलथि । ओ असन्तुष्टिके कारण की छल तकर खोजी करबाक चाही मधेशी दलके, लेकिन ई नहि भऽ सकल ।

मुद्दा कहियो नईं मरत
मधेशी दलसभके शक्ति घटल अछि मुदा मधेशके एजेण्डा एखनो स्थापिते अछि । मधेश आन्दोलनसँ उठल संघीयता, समावेशीकरण, पहिचान, प्रतिनिधित्व जेहन मुद्दा एखनो स्थापित अछि । संविधानसभामे मधेशी दल संख्यात्मक रुपसँ कम अछि तेँ ई एजेण्डासभके छोड़ि देल जाय जँ काठमाण्डूक शासक वर्ग ई सोचैया बड़का मूर्खता हएत । २००७ सालदिश उठल नेपाल तराई कांग्रेसके एजेण्डा ६० वर्षक बाद जँ उठि सकैया त फेर मधेशके एजेण्डा कत्तउ नहि जायत । मुदा मधेशी शक्तिके चिन्तन करक चाही ।

नेपालक राजनीतिमे भारत अभिनेता !
मधेशी राजनीतिक दल नेपालके राजनीतिक फ्रेमवर्कके भितर रहिकऽ काज करैत अछि । मधेशी राजनीतिक दलमात्रे नहि नेपालके सभ राजनीतिक शक्ति कोनो ने कानो तरहेँ विदेशी शक्तिसभसँ प्रभावित अछि । मधेशकेँ भारतसँ जोड़िकऽ देखबाक काठमाण्डूके प्रवृत्ति गलत अछि । मधेशी दलमे भारतके सक्रिय भूमिका छइ, हम अपन किताबमे सेहो ई बात लिखने छी । पार्टी गठनसँ लऽ कऽ पार्टी विभाजनधरिमे भारतके विभिन्न संयन्त्रके भूमिका हमसभ देखने छी । मुदा भारतके एहन भूमिका मधेशी दलमे मात्रे देखल गेल तेहन बात नहि । नेपाली कांग्रेस, एमालेके महाधिवेशनमे भारतके भूमिका देखाइत अछि, माओवादीमे कोन नेताके कत्तेक आगू बढाओल जाय ताहिमे भारतके भूमिका देखल जाइत अछि । काठमाण्डूमे कोन पार्टीके सरकार बनत ? के मन्त्री बनत ? ताहिमे भारतके भूमिका देखल जाइत अछि । ई समग्र सन्दर्भमे भारत नेपालके राजनीतिम प्रमुख शक्तिके रुपमे अछि । भारत नेपालके आन्तरिक राजनीतिके प्रभावित करैत अछि ताहिमे मधेशी शक्ति प्रभावित भेनाइ स्वभाविक अछि । कियाकि मधेशी दल नेपालक राजनीतिक बृत्तमे अछि । खुला सीमा, मधेशकेँ बिहार, उत्तरप्रदेशसँ सांस्कृतिक सम्बन्धके कारण मधेशी दलकेँ भारतसँ सञ्चालित देखनाइ गलत हएत । नेपालके राजनीतिक सब शक्तिके स्वायत्त हएबाक प्रयास करबाक चाही । मुदा खुला सीमा जेहन कारणसँ भारतसँ हमरसभके विशेष सम्बन्ध अछि सेहो बुझक चाही ।  भारत नेपालक राजनीतिमे ७० वर्षसँ एकटा अभिनेताके रुपमे अछि । जाधरि नेपाल अपने शक्ति सम्पन्न नहि हएत ताधरि भारत अभिनेताके रुपमे रहत । ताहिके लेल नेपाली राजनीतिक शक्ति, नेपाली राष्ट्रियता, नेपालक आर्थिक संयन्त्रके मजबुत होबऽ पड़त ।

कार्यगत एकता हुअए
मधेशमे सभ राजनीतिक दलके एकीकरण नहि हएत । कियाक त मधेशी समाज विभाजित अछि । पहाडमे सेहो बहुते पार्टीसभ अछि । मधेशी समाजमे अन्तरविरोध, जातीय प्रश्न, वर्गीय प्रश्न अछि । नेतासभके अपन अपन महत्वाकांक्षासभ अछि । दोसर जहिना नेपालमे बहुदलीय प्रजातन्त्र अछि तहिना मधेशमे सेहो बहुदलीय प्रजातन्त्र अछि । ओत्तउ बहुतो पार्टी अछि जे एक दोसरासँ प्रतिष्पर्धा कऽ रहल अछि । मुदा ओ दलसभमे एजेण्डा समान अछि । ओ एजेण्डा पूर्ति करबालेल कार्यगत एकता हएब आबश्यक अछि । जँ कार्यगत एकता नहि भेल त ओ एजेण्डा पूर्ति नहि हएत आ सबके घाटा हएत । मधेशी पार्टीकेँ एकीकरणसँ बेशी हम कार्यगत एकतापर जोड़ देबऽ चाहैत छी । समस्या अछि नेतासभक महत्वाकांक्षा । मधेशक नेतृत्वमे दुरदृष्टि नहि देखल गेल । संविधान बनबाधरि कार्यगत एकता नहि भेल त हुनकासभके राजनीति प्रश्न उठत सेधरि ओ सभ नहि बूझि सकलैथ ।

विकास क्षेत्रके मोडलकेँ विरोध हुअए
एक मधेश एक प्रदेशके माग मधेश आन्दोलनके क्रममे उठल । घोषणा पत्रमे ई बात राखल गेल । मुदा जहिया जहिया गम्भीर निर्णयके समय आएल मधेशी दल एक मधेश प्रदेशके माङ छोड़िकऽ सम्झौता कएने अछि । मधेशी दल ई माङ छोड़लाक बादो काठमाण्डू हौवा बना देलक । मधेशके बदनाम करबालेल काठमाण्डू ई हल्ला कएलक जे मधेशी दल एक मधेश प्रदेश मङगैत अछि पहाडमे बहुत प्रदेश आ मधेशमे कम प्रदेश सम्भव नहि से कहिकऽ प्रोपगाण्डा कएल गेल । पहिल संविधानसभाके क्रममे सेहो संविधानसभा भितरके समिति या राज्य पुनर्संरचना आयोगमे एक मधेश प्रदेशके बात नहि छल । ओहिमे मधेशी दलसभसँ मनोनित सदस्य मधेशमे दू प्रदेशमे मधेशी शक्तिसभ हस्ताक्षर कएने छल । एकीकृत नेकपा माओवादी आ मधेशी दलके नेतृत्वके सरकार जहिया रहए तहिया मधेशमे दू प्रदेश नहि भऽ सकल । एक मधेश प्रदेश आब एजेण्डामे नहि अछि । मधेशमे दू प्रदेश हएत की दूसँ बेशी हएत ई बड़का प्रश्न अछि । आब मधेशमे दू प्रदेश हएत ताहिमे समस्या अछि । पुरान विकास क्षेत्रके मोडलमे संघीयतामे जयबाक, उत्तर दक्षिण विभाजनके जे बात कांग्रेसके सभासद् संविधानसभामे रखने छथि एकर विरोध हएबाक चाही । एहिसँ मधेशके विभाजन हएत एकर विरोध हएबाक । मधेशमे दू प्रदेश या दूसँ बेशी प्रदेश हएत से बहसके विषय अछि । विकास क्षेत्रीय मोडलके नहि स्वीकारल जाय । 

नेपालेमे अधिकार खोजऽ पड़त
मधेशी नेपाली राज्यसत्तामे अपन पहिचान खोजनिहारसभ अछि । बहुमत ओहने अछि । कुर्ता, धोती लगबैछी लेकिन हमहुँ नेपाली छी से भावना मधेशी जनताके छइ । एकटा नेपाली नागरिक जकाँ हमरो बराबरीके हक भेटबाक चाही से मधेशी चाहैत अछि । हमरे अपन प्रान्त हुअए, भेटए से ओ मंगैत नेपाली राज्य संयन्त्रसँ जुड़ऽ चाहैत अछि । मधेशी दलसभ सेहो इएह कहैत अछि । कियो पृथकतावादी माङ नहि रखने अछि । दोसरदिश एहनो शक्ति अछि जे मधेशके नेपालसँ अलग बनाबऽ चाहैत अछि । नेपाली राज्यसत्ता मधेशके माङ, एजेण्डाके सम्बोधन जँ करए त एहन पृथकतावादी आवाज सेरा जायत । ३३ प्रतिशत जनसंख्या रहल मधेशीके अलग राज्य बनाएब आवश्यक नहि । मधेशके नेपाल भितरे अधिकार खोजबाक चाही आ नेपाल भितरे ओकरा अधिकार भेटतै । 
अन्तर्वार्ता / जितेन्द्र झा

(पत्रकार प्रशान्त झासँ कएल गेल बातचीतके मुख्य अंश । ) 
साभार गोरखापत्र मैथिली पृष्ठ २०७१ साउन २ गते 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें