मैथिल
नव विवाहिताद्वारा पूजल जाएबला मधुश्रावणी पाबनि बुधदिनस“ सुरु
भेल अछि । एहि पाबनिमे नवविवाहिता १५ दिनधरि व्रत आ पूजा कएल करैत अछि । साओन
कृष्ण पञ्चमीसँ साओन शुक्ल तृतीया तिथिधरि मनाओल जाएबला एहि पाबनिमे मूलरुपसँ नाग, नागिन, गौरी आ महादेवके पूजा होइत अछि । पतिक दीर्घायूक
कामना आ पारिवारिक सुख समृद्धिक कामनासहित कएल जाएबला पाबनिमे निराहार रहि व्रती
१५ दिनधरि कथा सुनल करैत अछि । मैथिल व्राह्मण, कायस्थ आ सोनार जातिमे मधुश्रावणी पूजा करबाक चलन
अछि ।
जनकपुरक
मन्दिर परिसरमे दूपहरियामे सूर्यक ताप कम होइते मधुश्रावणी पूजा केनिहारि व्रती आ
संगी बहिनपासभके भीड लागि जाइत अछि । हरियर साड़ी पहिरने व्रतीसभ गीत गबैत फुल लोढ़ल
करैत अछि । बाँसक डाला लेने युवती आ महिलाक झुण्ड टोल टोलसँ निकलिकऽ मन्दिर, फुलबारीसभमे जम्मा होइत अछि । फुल लोढ़िक
डाला सजएबाक प्रतिष्पर्धे भेल करैत अछि । अपन समूहक डाला नीक जकाँ सजाबऽ लेल युवती
तथा स्त्रीगण नीक नीक फूल लोढ़ि डाला सजबैत छथि । जनकपुरक विवाह मण्डपमे मैथिल
ललनाके बेस भीड़ देखल जाइत अछि ।
वर
आ कनियाँ प्रतिदिन मधुश्रावणी पूजाक कथा सँगहि सुनैत छथि । जे वर आ कनियाँके
सामीप्यता बढएबालेल सहायक होइत अछि । मधुश्रावणी कथामे आबएबला शिव पार्वतीक प्रेम
कथासहितके प्रसंगसभमे रति रागके सम्मिश्रण भेटैत अछि जाहिसँ नवविवाहिताके मनोरञ्जन
मात्र नहि होइत छन्हि खिस्से पिहानीमे प्रेम, अह्लाद बढेबाक अवसर सेहो भेटैत छन्हि । विदेश या
अपन गामठामसँ दूर रहनिहार कतेको लोकके ई अवसर नईं भेटैत छन्हि जे ओ कनिञा संगे रहि
कथा सुनथि । तैइयो कथाके अन्तिम दिन वरके उपस्थिति अनिवार्य मानल जाइत अछि ।
साभार
मैथिली पृष्ठ गोरखापत्र २०७१ साउन २ गते
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