गणेशकुमार
लाल
ओ
माघके एकटा सुन्दर सबेर छल । दिनके शुरुआत एक कप स्वादिष्ट कफीसँ भऽ जाइत से इच्छा
छल । किछ क्षणमे वास्तवमे गुलाब काकी तीनटा गरम कफीलऽ कऽ आबि गेलीह । हम आ सुुन्दर
खुशी भऽ गेलहुँ । ओही दिन ठण्ढासँ कपकपि लागल छल । गुलाब काकीके हाथमे एकटा लिफाफ
आकारके एकटा फोटो छल ।
बरण्डाके
ठिक उत्तर कातमे विस्कुट राखल छल । हमर नजरि पड़िते गुलाब काकी आनिकऽ प्लेटमे राखि
देलखिन । एहि समय पूर्व दिशामे सूर्य भगवान अपन लालिमा चारो तरफ फैला देलखिन ।
गुलाब काकी हमर सबके छाति भितर ओही दिनसँ बैस गेलिह ।
गुलाब
काकीके सबसँ बेसी ध्यान छलैन व्यवसायीक कृषिपर । पूर्व कालमे खाद्यान्न अभावसँ
बहुत बालबालिकाकेँ कुपोषणसँ मृत्यु भऽ जाइत छल । कृषि विकासक समावेसी आधारक
निर्माण तथा महिला लोकनिक व्यापक सहभागिता संगहि प्रकृतिक संसाधन संरक्षरण आ सतत
उपयोगके योजना बनेबामे निपूण छलिह गुलाब काकी । अपन जीविका हेतु व्यावसायीक कृषि
पर निर्भर छलिह । परन्च भूमि आ ओहीमे उपजल अन्न पर लागऽ वाला श्रम आ पूँजीक
अनूपातमेभेटऽ वाला लाभ अपर्यात छल ।
वर्तमान
समय मे खाद्यवस्तु के सहज पहुच के मानव अधिकार के महत्वपूर्ण पक्ष के रुप मे लेल
गेल अछि । ताही के बुझैत गुलाब काकी कृषि व्यापारके मूल्य श्रृंखला मे आवद्धकऽ हरित क्रांन्तिकऽ
केलिह ।
गुलाब
काकी के पिता चन्द्रशेखर बाबू किछ दिनक बाद सरकारी सेवासँ निवृत होबाला रहैथ ।
अवकाश ग्रहण करबासँ पहिने अपन बेटी के हाथ पियर कऽ देब चाहैत रहैथ । अषाढ मासछल
अहिमहिनामे विवाह्र गृह– प्रवेश ्रयगोपवीत्र आदि सब प्रकारके शुभकार्य ब्राह्मण सब के मत अनुसार
वर्जित छल ।
विवाह
के शुभ मुहुर्त माघके प्रथम रविकेँ दिन रात्रिके नौ बाजिकऽ पैतिस मिनट निकलल छल
।चन्द्रशेखर जी के सम्बन्ध समाजके मध्मवर्गसँ छल । ओ अपन जातिकेँ रीति–रिवाज आ सामाजिक प्यबहारमे जकडल समय छल ।
विवाह मुर्हूत के कट्ठरतासँ पालन नही केलासँ दुष्परिणाम भऽ सकैत अछि ईविचार हुनका
सदैब रहलैन । अहि बातकेँ ध्यान मे रखैत चद्रशेखर जी विवाह के सब प्रबन्ध अपन
देखरेख मे सुनिचित केने छलाह । परिवारके सबसँ वयोवृद्घ व्यतिmकेँ हाथमे घडी दऽ देने छलखिन । जाहिसँ मुुहुर्त
के समय अनुसार सब कार्य भऽ जाय ।
विवाहक
सब काम घरके नजदिक मैदान मे भऽ रहल छल । बहुत बडका शामियाना टागल छल । निचामे बहुत
बरियाती सब बैसल छल । बर–बधु आ हुनकर रिसतेदार एकटा विशेष मंडपमे बैसल रहैथ । वयोवृुद्घ सज्जनसँ
संकेत प्राप्त होइते ब्राह्मण सब शँंख बजाबऽ लगलाह । बैन्डबाजा बाजऽ लागल । ठीक दु
बाजिकऽ इकतिस मिनट पर मनोहरराम जी संगे विवाह समपन्न भऽ गेलैक गामबासी सब हरसित भऽ
उठलाह । मंगलाचरण गायल गेल ।
गुलाब
काकी घरके काम काज समहारी लेलिह । मसुरीके खेतमे फुलल फल आरी पर ठाड भऽ कऽ गुलाब
काकी देखकऽ आनन्दित छलीह । पूर्णतः जैविक कृषि उत्पादन कएल मसुरी छल । जैविक कृषि
उत्पादन प्रति देश विदेशमे आकर्षण बढिरहल अछि । अन्य आदमीक खेतसँ बहिकऽ प्रदूषित
पानी मसुरीके खेत नही अबैक ताही हेतु खेतके चारुकात तीन फीट चौडा आ दू फीट गँहिरगर
नाला पहिनेसँ बनायल गेल छल ।
जिल्लाके
कृषि अनुसन्धान परिषद अन्तरगत कृषि प्रदर्शनि लागल छल । जाहि मे गुलाब काकी अपन
कृषि उत्यपादन मसुरी आ मूग दाल प्रर्दशनि मे रखने छलिह । प्रदर्शनी देखबला लोग कृषक, छात्र, नेता, कर्मचारी, किसानसब अबैत छलाह । देश प्रथम योजना कालेसँ कृषि
उत्यपादन दूरा सबके भोजन भेटैक ताही हेतु उत्यापादनक जैविक प्रविधि के अवधारण राखल
गेल छल ।अहि मे खाद्यवस्तु दालि,चाउर आ गहुम आ दुध आ दुधजन्य पदार्थके उत्पादन कार्यमे जोड देल गेल छल ।
वुधदिन
छल । प्रर्दशनिमे दर्शनार्थि सब के बहुत भिर लागल छल । कारण छल कृषि प्रर्दशनि मे
कृषि मन्त्री जी के प्रर्दशनि मे एवाक सुचना जिल्ला कृषि कार्यालयसँ प्रसारित कैल
गेल छल । कृषि मन्त्री जी समय पर आबि कृषि प्रर्दशनि के सर्वेक्षण केलैन । गुलाब
काकी के स्टल पर आबिकऽ कृषि मन्त्री जी मसुरी आ मुग के उत्यपादन कैयल खाद्यवस्तु
के देखलगलाह । बहुत पत्रकार आ कैमराबला व्यतिm सबकोई फोटो खिचनाइ शुरु कैलैन । मन्त्री जी महिला
कृषक गुलाब काकीकेँ नमस्कार कऽ पुछलखिन – अहाँ जैविक खेती करैत छी?
गुलाब
काकी ः श्रीमान् हम जैविक कृषि खेती करैत छी ।
मन्त्री
जी ःकतेक बिगहा खेतमे?
गुलाब
काकी ः १५ बिगहा मे मसुरी आ ५ बिगहा मे मुंग ।
मन्त्री
जी ः सब खेत अहाकेँ अपन अछि ।
गुलाब
काकी ः नहि, सब
खेत हमर नहि अछि । हम समुदायमे आधारित खेती करैत छी । अहीसँ समुदाय के लाभ प्राप्त
होइत छैक ।
मन्त्री
जी ः अहाँक समुदायमे कतेक किसान छथि ।
गुलाब
काकी ः हमरा सबक समुदायमे पच्चसि महिला
कृषक छथि ।
मन्त्री
जी ः खाद्यान्न आ खाद्य वस्तु के संरक्षण मे कि समस्या अछि ?
गुलाब
काकी ः मूख्यरुपसँ अन्न भण्डारणकेँ समस्या अछि । पक्का गोदाम घर नहि भेलासँ वरखाा
समय मे खाद्यवस्तु खराब भ जाइत अछि ।
मन्त्री
जी सँगे कृषि सचिब अपन डायरी मे गुलाब काकी के समस्या लिखलैन ।छओ पाँच नहि जानबाली
गुलाब काकी कृषि कार्य आ सामुहिक कृषि उत्पादन आ व्यापारी करणसँ महिला कृषकसब अपन
बच्चा सबके स्कूलमे अध्ययन करा रहल छलिह ।अतःहुनकर परिवार शिक्षा प्राप्त करबामे
आगा छलैन ।
कृषि
प्रर्दशनीक आइ समाप्ती छलैक । अगहनी, रब्बी आ तरकारी, फलफूल जतेक स्टल प्रर्दशनि मे लागल छल ओही सबमे
प्रथम पुरसकार कृषि मन्त्रीजी घोषण करबाला छलैथ ।
मन्च
पूर्णरुपसँ फूलमाला सँ सजल छल । कृषि कार्यालयके एकटा कर्मचारी गुलाब काकी के बजाब
एलखिन । गुलाब काकी अपना सगे फुलमति देवी के सेहो लऽ गेलिह ।
ठिक
दिनके चारी बजे कृषि मन्त्री जी आबि गेलाह । हुन्कर भव्यरुपसँ स्वागत कैल गेल
।पुरस्कारक घोषण भेल । कृषि मन्त्री जी सबसँ पहिने गुलाब काकी के महिला कृषक मे
पुरस्कार हेतु घोषण केलैन जाही मे एकलाख टाका आ गोदाम घर निर्माण सरकार करा देत से
मन्त्री जी घोषण केलैथ ।
जनतासबसँ
भडल भिढमे थपडी पर थपडी पारी लागल । वातावरण पूर्णरुप सँ गुनजायमान छल । जनता सब
खुशि छल जे कृषि मन्त्रालय वास्तव मे सही रुपसँ महिला कृषकके पहिचान केलक ।
गाममे
वर्षा भे छल । एहन वर्षा जे छुटवाक नामे नही लैत छल । गुलाब काकी के पोताके
सर्दीसँ निमोनिया लागि गेल छल । अतस् गुलाब काकी बड दुसखी छलिह । लोक कहैत अछि
ससार दुसख आ दुसखसँ निमार्ण भेल अछि से कहैत छथि ज्ञानी आ सन्त सब ।
गुलाब
काकीके वनस्पती शात्रके सेहो ज्ञान छलैन । ओ टेलिभिजन कार्यक्रममे आचार्य
बालकृष्णजीकेबतायल नागरमोथा ९फुुलकी ०के बारेमे औषधिय गुण के लिखकऽ डायरीमे रखने
छलिह ।नागरमोथा जलिय आ आद्र्र भूमि जगहमे पैदा होइत छैक । अहिके केन्दमे एक प्रकार
के सुस्वाद तेल पावल जाइत अछि । अतः बोखारसँ पीडित पोताके नागरमोथा आ गिलोइ के
काढा बनाकऽ पियेनाइ शुरु केलैन । दुु दिन के बाद ज्वर समाप्त भऽ गेल ।
सरकारी
स्तरसँ निर्माण कैल गेल गोदाम घर बीस फीट लम्बा आ १५ फीट चौडा २५ फीट उँचाई के
गोदाम घर निमार्ण भऽ गेलैक । गामके किसान सब बहुत खुशी छलाह । महिला कृषक आ
समूदायमे आबद्ध सब किसान भगवानक पूजा कऽ मिठाई बटलैन । गुलाब काकी नीला रंग के
सिल्क सारी मे सजल छलिह । अहि सारी मे बेहतर टैकसचर आ जीवंत रंग प्राप्त होइत छैक
।
भगवानक
शुभ अनुकम्पासँ चारो दिशासँ हल्का गुलाबी आ जोगिया आभा चिन्ह उभरलागल छल ।उषाके
अवतरण होब बला छलैक । जाहीके उजालासँ भरपूर उर्जा
किछ घंटा मे गाम मे फैल बला छलैक । गुलाब काकी गंगा सागर जेबाक लेल बस मे
बैस गेल छलिह । कहबि छैक । सारा तीरथ बेर बेर गंगा सागर एक बेर । माता गंगा बहैत
बहैत गंगा सागर मे मिलैत छैथ । ई सुन्दरबनसागर द्वीपके दक्षिण हिस्सा छैक । तीस
किलो मिटर लम्बा आ नौ किलो मिटर चौडा अहि पबित्र द्वीपके अन्नमय तीर्थ मानल जाइत
अछि । गुलाब काकी अहिपवित्र तीर्थ दर्शन हेतु चलि गेलीह ।
साभार
मैथिली पृष्ठ गोरखापत्र २०७१ साउन २ गते
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