जितेन्द्र झा
नेपालमे प्रहरीक रवैयासँ जुड़ल
एकटा कहबी बेस प्रचलित अछि “पहिले थुन्नुस अनि
बुझ्नुस्”, सप्तरी जिलामे फेसबुक कमेन्ट कएनिहार एकगोटे युवककेँ २० दिन
हिरासतमे राखिकऽ प्रहरी अपना संगठनसँ जुड़ल ई कहबीके चरितार्थ कएलक अछि ।
एकटा सामान्य फेसबुक कमेन्ट, जाहिमे प्रहरीकेँ नामतक नहि लेल गेल छल, तकरा आधार बनाकऽ एसपी दिनेश अमात्य सप्तरी पोर्ताहा रहनिहार
अब्दुल रहमानकेँ २० दिनधरि हिरासतमे रखलनि ।
तिलके ताड़
नागरिक दैनिकमे जेठ १७ गते
एकटा समाचार छलप “सप्तरीमा सुध्रिँदो सुरक्षा”, ई समाचार फेसबुकमे शेयर कएलगेल । ओइ समाचारमे सप्तरीक युवा
अब्दुल रहमानकेँ कमेन्ट रहनि “के को सुध्रिनु, आफ्नै चोरी भएको बाइक फिर्ता गराउन पैसा तिर्नु परेको छ, त्यो पनि पचास हजार ।” इएह शब्द प्रहरीकेँ नईं पचलै आ किछु कालबाद अब्दुलकेँ
कमेन्टकेँ निचाँमे प्रहरी लिखलक “तपाईंले गर्नु भएको
कमेन्टप्रति जिल्ला प्रहरीको गम्भीर ध्यानाकर्षण भएको छ, सो सम्बन्धमा सत्य, तथ्य कुरा लिई यस
कार्यालयमा आउन हुन अनुरोध छ । साथै दोषी उपर कडाभन्दा कडा कारवाही गरिने व्यहोरा
अनुरोध छ ।”
आक्रामक रवैया
अब्दुल रहमान |
प्रहरी फेसबुकमे सुरक्षा
अवस्थापर कमेन्ट कएनिहार अब्दुल रहमानकेँ राजविराज वार्ड नं. ३ सँ जेठ १८ गते
नियन्त्रणमे लेलक । प्रहरी १४ दिनधरि हिरासतमे रखलाक बाद प्रहरी १५ म् दिनमे
सप्तरी जिला अदालतमे विद्युतीय कारोबार ऐन अन्तर्गत मुद्दा चलएबालेल हाजिर करबोलक
। १६ म् दिनमे सप्तरी जिला अदालत कहलक जे एहि ऐन अन्तर्गत मुद्दा चलएबाक अधिकार
काठमाण्डू जिला अदालतकेँ मात्र अछि । ताहिके बाद प्रहरी रहमानकेँ काठमाण्डू जिला
अदालतमे हाजिर करबौलक । काठमाण्डू जिला अदालत रहमानकेँ अषाढ़ ६ गते ५ हजार धरौटीमे
रिहा कऽ देलक । रहमानकेँ अषाढ़ १७ गते तारिख छन्हि । प्रहरी अदालतमे रहमानकेँ
विरुद्ध १ लाख रुपैयाँ जरिवाना आ पाँच वर्ष कैदकेँ माङ कएने अछि ।
नईं टेरलक अदालतकेँ
सप्तरी प्रहरी रहमान प्रकरणमे
अदालतोके ठेंगा देखा देलक । पीडित न्यायके लेल अदालतके द्वारिपर गेल मुदा प्रहरीक
सामने अदालतोके आदेश फिका पड़ि गेल । रहमानके पिता इसराइल मियाँ अपन बेटाकेँ प्रहरी गैरकानुनी ढंगसँ पकड़िकऽ
रखने कहैत पुनरावेदन अदालत सप्तरीमे अषाढ ४ गते बन्दी प्रत्यक्षीकरणकेँ लेल रिट
दायर कएलनि । अदालत सप्तरी प्रहरीके बन्दी रहमानकेँ आवश्यक कागजातसहित २४ घण्टा
भितर उपस्थित करएबाक आदेश देलक । जिला प्रहरी सप्तरी ओ पत्र वएह दिन अपरान्ह ४ बजे
बुझने छल मुदा अदालतकेँ आदेशके अवज्ञा करैत सवा सात बजे काठमाण्डू पठा देलक ।
अनाडी अधिकारी !
प्रहरी रहमानकेँ पकडिकऽ अपन
बहादुरी सिद्ध करबालेल विद्युतीय कारोबार ऐनकेँ सहारा लेलक । मुदा ओकरा ई धरि नहि
बुझल रहइ जे विद्युतीय कारोबार ऐन अन्तर्गत मुद्दा सुनुवाइके अधिकार काठमाण्डू
जिला अदालतकेँ मात्र छइ । जँ नहि त ओ किया रहमानकेँ सप्तरी जिला अदालतमे चक्कर
कटबौलक ? या त प्रहरीकेँ कानुनी ज्ञानके अभाव छइ नहि त ओ आम
नागरिककेँ यातना देबऽके अपन नैसर्गिक अधिकार बुझि लेने अछि ।
विभेदक गन्ध
प्रहरीक कारवाही साम्प्रदायिक
भावनासँ उत्प्रेरित रहल आरोप लागि रहल अछि । सामाजिक संजालसँ लऽकऽ संसदधरि ई आबाज
उठल अछि । अषाढ़ १० गते सद्भावना पार्टीक सभासद् लक्ष्मणलाल कर्ण व्यवस्थापिका
संसदमे ई मुद्दाके उठओलनि । सभासद् कर्ण मधेशी आ मुस्लिम भेलाक कारणेँ रहमानउपर
प्रहरी कारवाही कएने आरोप लगओलनि । ओ कार्यवाहक प्रधानमन्त्री आ गृहमन्त्री बामदेव
गौतमकेँ पुछलनि जे ई देश के चलबैया लोकतान्त्रिक सरकार की पुलिस । सामाजिक
संजालसभमे सेहो प्रहरीक रवैयाके आलोचना भऽ रहल अछि । अभिव्यक्ति स्वतन्त्रताकेँ
कुण्ठित करबालेल एहन कारवाही कएल गेल टिप्पणी सेहो भऽ रहल अछि ।
तानाशाही प्रवृत्ति
रहमानके कमेन्टसँ प्रहरीके
तिलमिलाएके औचित्य की ? की ओहिसँ पहिने
प्रहरीकँे छविपर कोनो प्रश्न नहि उठल अछि कि ? जाहि समाचारमे कमेन्ट
कएल गेल अछि ओहिके अन्तिममे लिखल अछि जे एक वर्षमे ३० गोटे प्रहरीके कारवाही कएल
गेल अछि । जँ सप्तरी प्रहरीके अपन छविके ओतबे चिन्ता छइ त ओकरा ई पाँतिके बेरबेर
पढऽक चाही । ३० गोटे प्रहरीके कारवाही करबाक एकमात्र कारण अछि प्रहरीक आचरण विपरीत
काज । ओना आम मधेशीकेँ बुझल छइ जे प्रहरी ओकरासँ कोन तरहेँ प्रस्तुत होइछइ । सीमा
क्षेत्रमे घरायसी प्रयोजनलेल नुन आ चिनी आनऽबलाके सीमा सुरक्षा नाममे ठाढ़ कोनाकऽ
प्रताड़ित करैत छइ । ई मुद्दा आब अदालतमे अछि, कानुन अनुसारके फैसला
हएबे करतै । मुदा जाहि प्रकृतिके रवैया पुलिस देखओलकए ताहिसँ प्रहरी संगठनपर
प्रश्न उठि रहल छइ । एकटा आम आदमीके प्रहरीके कृयाकलापपर टिप्पणी करबाक
संविधानप्रदत्त अभिव्यक्ति स्वतन्त्रता छइ तहन रहमानसँ एहन व्यवहार किया ? अल्पसंख्यक मुस्लिम समुदायक एकटा युवाकेँ प्रहरीक अनाहक
हिरासत किया भोगऽ पड़लै ? लोकतान्त्रिक गणतन्त्र
नेपालमे की मधेशी युवाकेँ बाजऽतकके अधिकार नहि छइ ? गृहप्रशासनकेँ एहिके
उत्तर खोजबाक चाही । कियाक त विभेदसँ विद्रोह जन्मैत अछि ई नेपालक बेर बेरके
आन्दोलनसँ सिद्ध भऽ चुकल अछि ।
साभार नयाँ नेपाल २०७१ साल अषाढ १६ गते
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